उत्तराखंड के चार धाम के नाम क्या हैं और कैसे जाएं यहाँ | छोटा चार धाम

छोटा चार धाम: उत्तराखंड के चार धाम को "छोटा चार धाम" या हिमालय के चार धाम कहा जाता है| बद्रीनाथ, द्वारिका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम् को भारत के चार धाम कहते हैं| लेकिन उत्तराखंड के चारधाम का भी विशेष महत्त्व होता है| धर्मग्रंथों के अनुसार अगर तीर्थयात्री यहाँ की यात्रा संपूर्ण कर लेता है तो वह जीवन मरण के चक्र से मुक्त होकर सद्गति को प्राप्त होता है| इस स्थान का विशेष महत्त्व इसलिए है कि यह वही स्थान है जो पृथ्वी और स्वर्ग को एक आकार करवाता है| हिमालय में बसे इन चार धामों को हिंदू धर्म ग्रंथों में पवित्रतास्थानों में से एक बताया गया है| आइये जानते हैं भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित इन चार धामों के नाम क्या हैं (उत्तराखंड के चार धाम) और यहाँ कैसे जा सकते हैं (छोटा चार धाम):

chota char dham

उत्तराखंड के चार धाम के नाम 

उत्तराखंड दो मंडल कुमाऊं और गढ़वाल में विभाजित है| उत्तराखंड के कुल 13 जिलों में से 7 जिले गढ़वाल मंडल में ही हैं| उत्तराखंड के चार धाम जिन्हें छोटा चार धाम भी कहा जाता है, सभी गढ़वाल मंडल में स्थित हैं| वैसे तो इन चारों स्थलों की अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं लेकिन इनकों चारधाम के रूप में एक इकाई के रूप में देखा जाता है|इन चार धामों के नाम हैं: 

1. बद्रीनाथ 

2. केदारनाथ 

3. गंगोत्री 

4. यमनोत्री 

भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हिंदुओं के सबसे पवित्र स्‍थान हैं| धर्मग्रंथों में कहा गया है कि जो पुण्‍यात्‍मा यहां का दर्शन करने में सफल होते हैं उनका न केवल इस जनम का पाप धुल जाता है, वे जीवन-मरण के बंधन से भी मुक्‍त हो जाते हैं| इस स्‍थान के संबंध में यह भी कहा जाता है कि यह वही स्‍थल है जहां पृथ्‍वी और स्‍वर्ग एकाकार होता है| 

अपनी हिमालय चार धाम (छोटा चार धाम) की यात्रा के दौरान तीर्थयात्री यमुनोत्री और गंगोत्री के दर्शन करते हैं| इन धामों से पवित्र जल लेकर श्रद्धालु केदारनाथ में केदारेश्वर का जलाभिषेक करते हैं| आइये जानते हैं उत्तराखंड के चार धाम के बारे में:

yamnotri dham

यमुनोत्री: परंपरागत रूप से यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है| यमुनोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3235 मी. ऊंचाई पर स्थित एक मंदिर है| यह मंदिर देवी यमुना का मंदिर है| यमुना देवी भगवान सूर्य की पुत्री ओर यमराज देवता की बहन है| यमुनोत्री, यमुना नदी का स्रोत है| यमुना का उद्गम स्‍थल यमुनोत्री से लगभग एक किलोमीटर दूर 4421 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यमुनोत्री ग्‍लेशियर है| यह मंदिर (3,291 मी.) बांदरपूंछ चोटि (6,315 मी.) के पश्चिमी किनारे पर स्थित है| 

gangotri dham

गंगोत्री: गंगोत्री समुद्र तल से 3140 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है| गंगोत्री से ही भागीरथी नदी निकलती है| गंगोत्री भारत के पवित्र और आध्‍यात्मिक रूप से महत्‍वपूर्ण नदी गंगा का उद्गगम स्‍थल भी है| गंगोत्री में गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है| गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है| यह स्थान उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से 100 किमी की दूरी पर स्थित है| 

kedarnath dham

केदारनाथ: केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है| यह मंदाकिनी नदी के उद्गगम स्‍थल के समीप है| केदारनाथ हिमालय पर्वतमाला में बसा उत्तराखंड राज्य का एक कस्बा है, जो रुद्रप्रयाग जिले की एक नगर पंचायत है| यहाँ स्थित केदारनाथ मंदिर का शिव लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है|

badrinath dham

बद्रीनाथ: बद्रीनाथ धाम, भारत के चार धामों में से उत्तर भारत में स्थित धाम है| इसी धाम के भारत के चार धामों में शुमार होने से इस राज्य उत्तराखंड में स्थित चार धाम यात्रा को 'छोटा चार धाम' यात्रा भी कहते हैं| हिमालय की चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ को चौथा और अंतिम धाम माना जाता है| उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम समुन्द्र तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है| यह नर और नारायण पर्वतों के मध्य में है| ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्‍णु इस स्‍थान ध्‍यानमग्‍न रहते हैं| 

उत्तराखंड की चार धाम यात्रा से पहले यह अवश्य पढ़ें 

  • उत्तराखंड की चारधाम यात्रा अप्रैल/मई से नवंबर की शुरुआत तक, केवल छह महीने के लिए खुलती है और अगले छह महीने तक बंद रहती है| 
  • मानसून के मौसम (जुलाई-अगस्त) के दौरान भारी बारिश से सड़क के अवरुद्ध होने और भूस्खलन की संभावना बढ़ जाती है, जिससे चार धाम यात्रा प्रभावित होती है|  
  • यात्रा के दौरान गर्म और ऊनी कपड़े साथ रखने चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र का मौसम हमेशा ठंडा रहता है और ऊंचाई पर तो ठंड ज्यादा बढ़ जाती है| 

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