क्या हैं भारतीय रेलवे में Leave Not Due के नियम | जानिये हिंदी में

यूँ तो भारतीय रेलवे में कर्मचारियों को मिलने वाली छुट्टियां कम्पीटेंट अथॉरिटी के सैंक्शन करने पर निर्भर होती हैं और इसे रेलवे सेवक अपने अधिकार के रूप में नहीं ले सकता| पर इसके बावजूद भारतीय रेलवे अपने कर्मचारियों को अलग-अलग प्रकार की छुटियाँ के लिए आवेदन करने का अवसर देता है| इन्हीं में से एक है Leave Not Due|     

Leave Not Due भारतीय रेलवे के स्थायी कर्मचारियों को निम्नलिखित हालात के अधीन दी जाती है: 
  • लीव नॉट ड्यू केवल उतने दिनों तक की LHAP तक सीमित होती है जितने कि कर्मचारी द्वारा आगे कमाने जाने की संभावना होती है| उदहारण के रूप में यदि स्थायी रेलवे सेवक के पास लीव ऑन हाफ एवरेज पे (LHAP) नहीं बची हैं, और उसके रेलवे को भविष्य में सेवा देने के 10 साल की संभावना है, तो उसे अगले 10 साल की LHAP के तहत Leave Not Due सैंक्शन की जा सकती है|    
  • Leave Not Due पूरी सर्विस के दौरान अधिकतम 360 दिनों के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर ली जा सकती है| 
  • यदि रेलवे कर्मचारी जिसे लीव नॉट ड्यू दी गई है, अपनी रेल सेवा से रिजाइन करता है या उसके निवेदन पर उसे बिना ड्यूटी पर लौटे वॉलन्टरी रिटायरमेंट दी जाती है, तो उसकी Leave Not Due रद्द समझी जाती हैं| इस केस में उसके इस्तीफे या रिटायरमेंट की तारीख उसकी लीव नॉट ड्यू की शुरुआत से मानकर उससे लीव सैलरी रिकवर करी जाती है| 
  • यदि रेलवे कर्मचारी जिसे लीव नॉट ड्यू दी गई हो, अपनी रेल सर्विस पर लौटता है पर बिना LHAP कमाए जिसके आधार पर उसे Leave Not Due सैंक्शन हुई थी, अपना इस्तीफा देता है या रिटायर होता है तो उसे ना कमाई हुई LHAP के तहत ली हुई छुटियों के लिए सैलरी रिफंड करनी होती है| 
  • यदि लीव नॉट ड्यू के बाद ड्यूटी पर लौटे रेलवे कर्मचारी को खराब स्वास्थ्य के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाती है या रेलवे सेवक को अनुशासनात्मक आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति देते हैं या फिर यदि उसकी सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है तो ऐसे केस में किसी भी प्रकार की लीव सैलरी रिकवर नहीं करी जाती|   
  • लीव नॉट ड्यू मेडिकल ग्राउंड में एक वर्ष की सेवा दे चुके अस्थाई रेलवे कर्मचारियों को भी अपनी सर्विस के दौरान 360 दिनों तक मिल सकती है|                    

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