LWR in Railway | Long Welded Rail क्या होती हैं?

LWR in Railway: कुछ दशक पहले एक स्टैण्डर्ड रेल की लम्बाई 12/13 मीटर हुआ करती थी| इस अधिकतम रेल की लम्बाई के पीछे का कारण रोलिंग प्रक्रिया के दौरान कूलिंग बॉक्स की सीमित लम्बाई के साथ रेल ट्रांसपोर्ट में लोडिंग/अनलोडिंग की समस्या थी| रोलिंग निर्माण प्रक्रिया में लगातार हुई प्रगति से लम्बी रेल बनाना संभव हुआ| लेकिन पिछले कुछ दशकों में LWR की इतनी चर्चा क्यों हो रही है और इसका रेलवे में होने से क्या फायदा है? आइये जानते हैं LWR क्या होता है और क्या हैं फायदे:

lwr track long welded track in railway

LWR Full Form in Railway

LWR : Long Welded Rails 

LWR क्या होता है? (What is LWR) 

एल.डब्ल्यू.आर यानि लॉन्ग वेल्डेड रेल एक वेल्डेड रेल होती है, जिसके मध्य भाग में (नॉन-ब्रीथिंग लेंथ) तापमान में होने वाले परिवर्तन के कारण किसी भी प्रकार की मूवमेंट (Longitudinal movement) नहीं होती| आमतौर पर ब्रॉड गेज के लिए 250 मीटर से लम्बी रेल और मीटर गेज के लिए 500 मीटर से लम्बी रेल, लॉन्ग वेल्डेड रेल का काम करती है| अब क्यूंकि लॉन्ग वेल्डेड रेल के मध्य भाग में कोई मूवमेंट नहीं होती इसलिए तापमान के बदलने से उसमें इंटरनल थर्मल स्ट्रेस जनरेट होने लगता है| 

long welded rail advantages

LWR के दोनों तरफ जिस हिस्से में तापमान परिवर्तन से मूवमेंट होती है उसे ब्रीथिंग लेंथ कहते हैं| यानि ब्रीथिंग लेंथ में टेम्परेचर बदलने से रेल की लम्बाई घटती और बढ़ती है| इसी को काउंटर करने के लिए रेल के दोनों तरफ SEJ (स्विच एक्सपेंशन जॉइंट) लगाए होते हैं|  

LWR की अधिकतम लम्बाई एक ब्लॉक सेक्शन तक सीमित रहती है| 

sej in lwr joints

क्या होता है ट्रैक में एल.डब्ल्यू.आर का फायदा (Advantages of LWR)      

LWR को आधुनिक ट्रैक का पर्याय मान सकते हैं| एल.डब्ल्यू.आर  (LWR) निम्नलिखित कारणों से ट्रेन यात्रा को अधिक सुरक्षित, किफायती और आरामदायक बनाता है:
  • एल.डब्ल्यू.आर के कारण ट्रैक पर दो रेल के जोड़ों पर लगने वाली फिश प्लेट को ख़त्म किया जा सका है, जो भारतीय रेल के लिए बड़े समय से चिंता का कारण बनी हुई थी|    
  • रेल जॉइंट्स में लगने वाली फिश प्लेट पर कई डायनामिक फाॅर्स पैदा होते हैं, परिणामस्वरूप रेल में दरारें विकसित होने लगती हैं| कई बार अत्यधिक फ्रैक्चर के कारण काफी कम समय में रेल नवीनीकरण करवाना पड़ सकता है|
  • रेल जॉइंट्स पर पड़ने वाले अत्यधिक डायनामिक फाॅर्स के कारण ट्रैक ज्योमेट्री अपनी जगह से हिल जाती है इसलिए अक्सर ट्रैक का ध्यान देना पड़ता है| यह अनुमान लगाया गया है कि एल.डब्ल्यू.आर से ट्रैक देखरेख में 25 से 33 प्रतिशत तक बचत होती है| 
  • रेल जोड़ों के प्रभाव के कारण रोलिंग स्टॉक के पहियों में 5 प्रतिशत तक अधिक घिसाव होता है और जॉइंटेड ट्रैक में गैप को पार करने से लगभग 07 प्रतिशत अतिरिक्त ईंधन की खपत होती है|     
  • ट्रैक जॉइंट पर रेलगाड़ी चलने के कारण होने वाले शोर और कम्पन को एल.डब्ल्यू.आर से काफी हद तक कम किया जा सकता है| 

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