Types of Sleeper in Railway | रेलवे स्लीपर्स | Sleeper in railway track

Types of Railway Sleeper : रेलवे स्लीपर वह कॉम्पोनेन्ट होता है जिसमें रेल को एक सही दुरी पर (यानि गेज पर) बैठाया जाता है| यह रेलवे ट्रैक द्वारा आने वाले ट्रेन के भार को नीचे जमीन तक पहुंचाने के काम करते हैं| रेलवे इंजीनियरिंग में अहम् भूमिका निभाने वाले इन स्लीपर्स को कहीं-कहीं पर टाई के नाम से भी जाना जाता है| आइये जानते हैं रेलवे स्लीपर्स कितने प्रकार के होते हैं (Types of Sleeper in Railway) और क्या होता है इनका काम:   

types of sleeper in indian railway


क्या होता है रेलवे स्लीपर का काम (Function of Sleeper in Railway Track)

  • रेलवे स्लीपर्स रेलवे ट्रैक को अपनी स्थिति पर रखते हैं, जिससे रेल गेज दुरी एक जैसी बनी रहे| 
  • रेलवे स्लीपर्स रेलवे ट्रैक से आने वाले लोड को जमीन पर ट्रांसफर करता है| 
  • ट्रेन के चलने से आने वाली कम्पन को रेलवे स्लीपर्स कम करने का कार्य भी करते हैं| 
  • रेलवे स्लीपर ट्रैक के सही ग्रेड को भी बनाने में मदद करता है|  

Longitudinal Sleeper : रेलवे की शुरुआत में ट्रैक पर रेल की दिशा में स्लीपर्स बिछाए जाते थे| यह पत्थर और लकड़ी के बने होते थे| कुछ पर्याप्त दुरी पर गेज दुरी बनाए रखने के लिए क्रॉस कनेक्शन भी दिए जाते थे| लेकिन इंस्टालेशन और मेंटेनेंस में लगने वाली लागत और यात्री आराम के साथ उठने वाली ध्वनि को ध्यान में रखते हुए इन स्लीपरों के बदले ट्रांस्वर्स स्लीपर का प्रयोग किया जाने लगा| 


Transverse Sleeper : ट्रांस्वर्स स्लीपर रेल की दिशा के परपेंडिकुलर बिछाए जाते हैं| यह longitudinal स्लीपर की सभी समस्याओं को कम करते हैं| स्लीपर के मटेरियल के आधार पर स्लीपर्स को बांटा गया है|        


रेलवे स्लीपर्स के प्रकार (Types of Sleepers in Railway Track)

रेलवे में उपयुक्तता और उपलब्धता के अनुसार विभिन्न प्रकार के स्लीपर्स का इस्तेमाल किया जाता है:


वुडेन स्लीपर (Wooden Sleeper)

रेलवे में उपयोग किये जाने वाले लकड़ी से बने स्लीपर को वुडेन स्लीपर कहा जाता है| वुड स्लीपर को व्यापक रूप से सर्वोत्तम प्रकार के स्लीपर के रूप में उपयोग किया जाता है क्यूंकि यह आदर्श स्लीपर की सभी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं| वुड स्लीपर साल/ओक/पाइन आदि की लकड़ी की बनी होती है| पर्यावरण को देखते हुए वुड स्लीपर का इस्तेमाल कम होने लगा है| 

wood sleeper image

रेलवे में वुड स्लीपर के फायदे 

  • लकड़ी कहीं भी आसानी से उपलब्ध होती है|
  • वुड स्लीपर दूसरे स्लीपर की तुलना में आसानी से बन जाते हैं और इनमें लागत भी कम लगती है| 
  • इनमें कुछ ही फास्टनर्स की जरुरत होती है जिन्हें डिज़ाइन करना भी सरल होता है| 
  • यह हल्के होते हैं इसलिए इन्हें इनस्टॉल करना भी सरल होता है| 
  • वुड स्लीपर हर प्रकार के बलास्ट के लिए उपयुक्त होता है| 
  • वुड स्लीपर हर प्रकार के रेल सेक्शन और रेल गेज के लिए उपयुक्त होता है| 
  • इन्हें बदलना भी आसान होता है| 
  • वुड स्लीपर अन्य प्रकार के स्लीपरों की तुलना में झटकों और कम्पन को बेहतर तरीके से अवशोषित करते हैं| 
  • लकड़ी एक अच्छा इंसुलेटर होने के कारण यह रेल के ट्रैक सर्किट के लिए उत्तम माना जाता है| 
  • वुड स्लीपर का तटीय क्षेत्रों में इस्तेमाल से साल्ट रिएक्शन नहीं होता| 


रेलवे में वुड स्लीपर के डिसएडवांटेज (Disadvantage of Wood Sleeper)

  • वुड स्लीपर्स की लाइफ स्पान दूसरे स्लीपर्स की तुलना कम होती है| वातावरण, ट्रेन के आवागमन, लकड़ी की गुणवत्ता के आधार पर इनकी आयु दस से बारह साल होती है|  
  • सही से देखरेख ना होने पर वुड स्लीपर के गलने-सड़ने की गुंजाईश बनी रहती है| 
  • वुड स्लीपर में कीड़ों द्वारा नुक्सान हो जाता है| 
  • लकड़ी होने के कारण वुड स्लीपर में आग लगने का खतरा रहता है| 
  • इनकी देखरेख में लगने वाली लागत भी ज्यादा होती है और लाइफ पूरी होने पर इनकी स्क्रैप वैल्यू ना के बराबर होती है| 
  • वुड स्लीपर आग के प्रति अति सवेंदनशील होते हैं और अधिक आद्रता से भी इनमें ड्राई रॉट और वेट रॉट जैसी समस्या आ जाती है| 


मेटल स्लीपर (Metal Sleeper)

जो रेलवे स्लीपर स्टील या कास्ट आयरन से बने हों उन्हें मेटल स्लीपर कहते हैं| इन स्लीपर का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है क्यूंकि यह वुड स्लीपर से अधिक मजबूत और कंक्रीट स्लीपर से अधिक किफ़ायती होते हैं| एक समय पर्यावरण को देखते हुए वुड स्लीपर की बढ़ती कमी, हाई मेंटेनन्स लागत और छोटी लाइफ स्पान के कारण मेटल/स्टील स्लीपर को व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने लगा था| 

जैसा की बताया गया है मेटल स्लीपर भी दो तरह के होते हैं: 

स्टील स्लीपर: रेलवे में जो स्लीपर स्टील से बनाये जाते हैं उन्हें स्टील स्लीपर कहते हैं| जहाँ पर वुड स्लीपर और कंक्रीट स्लीपर उचित नहीं समझे जाते उधर स्टील स्लीपर का उपयोग होता है| टाई के आधार पर स्टील स्लीपर दो तरह के होते हैं Key-Type स्टील स्लीपर और Clip & Bolt Type स्टील स्लीपर| 


स्टील स्लीपर के फायदे (Advantages of Steel Sleepers)

  • स्टील स्लीपर्स का लाइफ-स्पान 35 से 50 वर्ष तक होता है| 
  • स्टील स्लीपर्स समय के साथ समान क्षमता और स्थायित्व बरकरार रखते हैं| 
  • इन स्लीपर्स में गेज दूरी को आसानी से समायोजित और मेन्टेन किया जा सकता है| 
  • रि-साइकिल किये जाने के कारण इनकी स्क्रैप वैल्यू भी अधिक होती है| 
  • लाइट-वेट होने के कारण इन स्लीपर्स की हैंडलिंग आसान होती है और इन्हें आसानी से प्लेस किया जा सकता है|
  • स्टील स्लीपर अधिक लोड और ट्रेन गति के लिए उपयुक्त होते हैं| 


स्टील स्लीपर के डिस-एडवांटेज (Disadvantage of Steel Sleeper)

  • स्टील स्लीपर में अधिक फिटिंग की जरुरत पड़ती है| 
  • मेटल में जंग लगने के कारण स्टील स्लीपर केमिकल से जल्दी प्रभावित होते हैं| 
  • स्टील स्लीपर हर तरह के बेड (बलास्ट) के लिए उपयुक्त नहीं होते और इनमें अधिक बलास्ट की भी जरुरत होती है| 
  • स्टील स्लीपर में ज्यादा मेंटेनेंस लागत लगती है और हर प्रकार के रेल सेक्शन के लिए यह उपयुक्त नहीं होते| 
  • गुड कंडक्टर होने के कारण ट्रैक सर्किट में इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता| 


कास्ट आयरन स्लीपर (Cast Iron Sleeper) : रेलवे में जो स्लीपर कास्ट आयरन से तैयार किये जाते हैं उन्हें कास्ट-आयरन स्लीपर कहा जाता है| इनका विश्व भर में बहुत उपयोग होता है| भारतीय रेलवे में भी कास्ट-आयरन स्लीपर्स को इस्तेमाल किया जाता है| दूसरे स्लीपर की तुलना में आज के समय में सबसे अधिक ब्रॉड गेज ट्रैक कास्ट आयरन स्लीपर पर ही बिछा हुआ है| कास्ट आयरन स्लीपर्स भी पांच प्रकार के होते हैं:

  1. Pot or Bowl Sleeper 
  2. Plate Sleeper 
  3. Box Sleeper 
  4. CST-9 Sleeper 
  5. Duplex Sleeper 


कास्ट-आयरन स्लीपर के फायदे (Advantages of Cast Iron Sleeper)    

  • कास्ट आयरन स्लीपर की लाइफ लगभग 60 वर्ष तक होती है| 
  • इनका निर्माण बहुत आसान होता है जिस कारण यह आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं| 
  • कास्ट-आयरन स्लीपर्स में किसी भी तरह से कीड़ों द्वारा नुक्सान नहीं होता| 
  • टूटे हुए कास्ट आयरन स्लीपर को रि-मोल्ड किया जा सकता है, इसलिए इनकी स्क्रैप वैल्यू भी अधिक होती है|  

cast iron sleeper

    
   

कास्ट आयरन स्लीपर  के डिसएडवांटेज (Disadvantage of Cast Iron Sleeper)

  • कास्ट आयरन स्लीपर काफी ब्रिटल होते हैं, जिस कारण हैंडलिंग के दौरान जल्दी टूट सकते हैं| 
  • यह साल्ट वाटर से जल्दी प्रभावित होते हैं इसलिए कोस्टल एरिया में इनका उपयोग उपयुक्त नहीं होता| 
  • कास्ट आयरन स्लीपर में रेल फिक्सिंग के लिए अधिक फिटिंग की जरुरत पड़ती है| 
  • अधिक रेल लोड और हाई स्पीड से कास्ट आयरन स्लीपर में की (Key) ढीली हो सकती हैं इसलिए इनको अधिक देखरेख की आवश्यकता होती है| 
  • ट्रैक सर्किट में स्टील स्लीपर की तरह इनका उपयोग भी नहीं होता| 


कंक्रीट स्लीपर (Concrete Sleeper)

वे रेलवे स्लीपर जो प्री-स्ट्रेस्ड सीमेंट कंक्रीट या रैनफोर्स कंक्रीट से बने हों उन्हें कंक्रीट स्लीपर कहते हैं| कंक्रीट स्लीपर की कम देखरेख और उच्च स्थिरता के कारण बहुत से देशों में इनका उपयोग होता है| भारत में भी कंक्रीट स्लीपर के कई प्रकार के गुणों के कारण, इनका उपयोग तेजी से बड़ रहा है| कंक्रीट स्लीपर भी दो तरह के होते हैं: रैनफोर्स कंक्रीट स्लीपर (RCC Sleeper) और प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट स्लीपर| 

concrete sleeper advantages


कंक्रीट स्लीपर के फायदे (Advantages of Concrete Sleeper)

  • कंक्रीट स्लीपर की लाइफ स्पान बहुत अच्छी होती है (लगभग 40 से 60 वर्ष)| 
  • अधिक भारी होने के कारण यह रेल को स्थिर रखते हैं और रेल और स्लीपर के बीच अच्छा कनेक्शन प्रदान करते हैं| 
  • गेज की एडजस्टमेंट कंक्रीट स्लीपर में आसान होती है और इसमें कम फिटिंग की जरुरत पड़ती है| 
  • कंक्रीट स्लीपर अच्छा इंसुलेटर होने के कारण सर्किट ट्रैक के लिए उपयुक्त माना जाता है|
  • इनकी देखरेख में लगने वाली लागत कम होती है| 
  • इनमें जंग लगने और कीड़ों से होने वाले हमले जैसी समस्या नहीं होती| 
  • इनका निर्माण बहुत आसान होता है और वुड स्लीपर और स्टील स्लीपर की तुलना में किफायती होते हैं| 

 

कंक्रीट स्लीपर के डिसएडवांटेज (Disadvantage of Concrete Sleeper)

  • कंक्रीट स्लीपर की शुरूआती लागत अधिक होती है| 
  • भारी होने के कारण इनकी हैंडलिंग मुश्किल होती है| 
  • इनकी स्क्रैप वैल्यू भी कुछ नहीं होती| 
  • यह रिपेयर नहीं किये जाते और डैमेज होने पर बदलने पड़ते हैं| 


Composite Sleeper

कम्पोजिट स्लीपर एक मॉडर्न टाइप स्लीपर होते हैं जिन्हें वेस्ट प्लास्टिक और रबर से बनाया जाता है, इसलिए इन्हें प्लास्टिक स्लीपर भी कहा जाता है|            

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