भैयादूज कब मनाते हैं और क्या है इसकी कथा | Bhai Duj 2022

Bhai Duj 2022: हिन्दू धर्म में हर साल कई त्यौहार मनाये जाते हैं और हर साल हम उतने ही उत्साह और उमंग के साथ इन पर्वों का स्वागत करते हैं| भारत में दीपावली एक मुख्य त्यौहार है| इस समय पांच दिवसीय त्यौहारों में धनतेरस, रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज एक के बाद एक पड़ते हैं| इनमें से अंतिम दिन भाई दूज त्यौहार मनाते हैं जो रक्षा बंधन की तरह भाई-बहन का पर्व है| आइये जानते हैं इस वर्ष भाई दूज का पर्व कब मनाया जाएगा और क्या है इसका महत्व और भाई दूज कथा: 
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भाई दूज का त्यौहार कब मनाया जाता है (Bhai Dooj 2022) 

भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है| इसे भैयादूज, भाई टीका, यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है| बहन इस दिन अपने भाई को घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती है और भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं| इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लम्बी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं| इस वर्ष 2022 में भाई दूज का पर्व (Bhai Duj 2022) 26 अक्टूबर 2022, बुधवार के दिन पड़ रहा है| भाई दूज अपराह्न समय दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक रहेगा| द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर 2022 को ही 02 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 12 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी|

भाई दूज का महत्व (Bhai Dooj Significance)

रक्षाबंधन की तरह ही भाईदूज का विशेष महत्त्व होता है| इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं| इस दिन भाई की लम्बी आयु और उज्जवल भविष्य के लिए पहले पूजा की थाली, फल-फूल, दीपक, अक्षत, मिठाई, सुपारी आदि वस्तुओं से सजाई  जाती है| इसके बाद घी का दीपक जलाकर भाई की आरती की जाती है और शुभ मुहूर्त देखकर तिलक किया जाता है| तिलक लगाने के बाद भाई को पान, मिठाई आदि वस्तुएं खिलाई जाती है| तिलक लगने के बाद भाई को अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए और उन्हें उपहार देना चाहिए| पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के दिन जब बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाती है तो भाई के जीवन पर आने वाले हर संकट का नाश हो जाता है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है तथा इस दिन बहन के घर पर भोजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है| 
bhai duj 2022
भाई दूज के दिन भाई की लम्बी उम्र की कामना के साथ ही शाम के समय यमराज के नाम का चौमुखी दीपक जलाकर घर की दहलीज के बाहर रखना चाहिए| यह करने से भाई के जीवन की विघ्न बाधाएं दूर होती हैं और लम्बी उम्र की प्राप्ति होती है| 

भाई दूज की पौराणिक कथा 

सूर्य देव और उनकी पत्नी संज्ञा को दो संतानें हुई, जिनमें पुत्र का नाम यम और पत्नी यमुना थी| सूर्य की पत्नी संज्ञा उनका तेज नहीं सहन कर पाई इसलिए उन्होंने अपनी छाया उत्पन्न की और अपने पुत्र-पुत्री को उसे सौंप कर वहां से चली गई| छाया को अपनी संतानों से कोई मोह नहीं था परन्तु भाई-बहन में आपस में बहुत प्रेम था| यमुना प्रायः अपने भाई को निमंत्रण देती थी परन्तु यम व्यस्थता के कारण उनसे मिलने नहीं जा पाते थे| एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यम अपनी बहन से मिलने पहुंचे| अचानक ही अपने भाई को द्वार पर देखकर यमुना बहुत प्रसन्न हुई और उसने यम का बहुत अच्छे से सादर-सत्कार किया| अपनी बहन के स्नेह से खुश होकर यम ने यमुना को कुछ वरदान मांगने को कहा| तब यमुना ने यम से प्रतिवर्ष इसी तिथि पर उसके घर आने का वरदान माँगा| 
यम अपनी बहन की इस इच्छा को टाल नहीं सकते थे और इसके बाद प्रतिवर्ष वह इसी तिथि को अपनी बहन से मिलने गए| तब से ही भाई-दूज मनाने की प्रथा है| ऐसा माना जाता है कि जो भाई इस तिथि पर अपनी बहन से तिलक करवाता है उसे अकाल मृत्यु का कोई भय नहीं रहता| 

इस तिथि को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन लोग मथुरा में यमुना नदी में भी स्नान करते हैं और भाई-बहन के स्वस्थ, सुखद और लम्बे जीवन के लिए यमुना देवी से प्रार्थना करते हैं| 

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