12 Jyotirlinga in India: हिंदू मान्यताओं के अनुसार सभी भगवानों में से त्रिदेव यानि भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव यानी महेश को सबसे बड़ा माना जाता है| आध्यात्मिक दृष्टि से भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते हैं, अर्थात् जीवों की उत्पत्ति करते हैं, भगवान विष्णु पालन करते हैं और भगवान शंकर संहार करते हैं| इस प्रकार शंकर भगवान नाश करने वाले हैं, जिससे ब्रह्मांड का निर्माण, रक्षा और रूपांतरण होता है| भगवान शिव ने धरती लोक की 12 जगहों पर खुद अपने भक्तों को दर्शन दिए और वही 12 जगह आज भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम से जानी जाती है| हिंदू धर्म के ग्रंथों की मानें तो जब तक मनुष्य भगवान शिव के इन 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन नहीं कर लेता है, तब तक उसका आध्यात्मिक जीवन पूर्ण नहीं हो पाता| आइये जानते हैं क्या हैं 12 ज्योतिर्लिंग के नाम (12 Jyotirlinga in India):
ज्योतिर्लिंग क्या होता है
हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग दोनों रूपों में की जाती है| शास्त्रों में शिवलिंग का अर्थ बताया गया है अनंत अर्थात जिसकी न तो कोई शुरुआत है और न ही अंत| शिवलिंग भगवान शिव और माता पार्वती के आदि-अनादि एकल रुप है| शिवलिंग पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक है| शिवलिंग बताता है कि न केवल पुरुष और न ही स्त्री दोनों का अलग-अलग इस संसार में कोई वर्चस्व नहीं है बल्कि दोनों समान हैं| शिवलिंग मानव द्वारा स्थापित किए गए हैं| इनमें से कुछ शिवलिंग मानव द्वारा निर्मित हैं तो कुछ स्वयंभू हैं और फिर उनको मंदिरों में स्थापित किया जाता है|
ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के स्वयंभू का अवतार है| ज्योतिर्लिंग का अर्थ है भगवान शिव का ज्योति के रूप में प्रकट होना| ज्योतिर्लिंग मानव द्वारा निर्मित नहीं होते हैं बल्कि वे स्वयंभू होते हैं जिन्हें सृष्टि के कल्याण और गतिमान बनाए रखने के लिए स्थापित किए गया है|
ज्योतिर्लिंग को लेकर शिव पुराण में एक कथा भी है| शिव पुराण अनुसार, एकबार ब्रह्माजी और विष्णुजी में इस बात को लेकर विवाद हो गया था कि दोनों में सर्वश्रेष्ठ कौन है और दोनों ही अपने आपको श्रेष्ठ साबित करने पर डटे हुए थे| इस भ्रम को दूर करने के लिए भगवान शिव एक ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हो गए थे, जिसकी न तो कोई शुरुआत थी और न ही कोई अंत था| दोनों में से कोई भी ज्योतिर्लिंग का छोर नहीं देख पाया| उसके बाद तय हुआ कि ब्रह्माजी और विष्णुजी से श्रेष्ठ यह दिव्य ज्योति है| इसी ज्योति स्तंभ को ज्योतिर्लिंग कहा गया| माना जाता है कि भगवान शिव ने धरती लोक की 12 जगहों पर खुद अपने भक्तों को दर्शन दिए और वही 12 जगह आज भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम से जानी जाती है| आइए जानते हैं उन 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में:
क्या हैं 12 ज्योतिर्लिंग के नाम | 12 Jyotirlinga in India
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, भारत के पश्चिमी तट पर. गुजरात राज्य में स्थित है| श्री सोमनाथ भारत के बारह आदि ज्योतिर्लिंगों में प्रथम है| इसे प्रभास तीर्थ कहते हैं|
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: श्रीशैलम मल्लिकार्जुन द्वितीय ज्योतिर्लिंग है, यह आंध्र प्रदेश में श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थित है| इसे दक्षिण का कैलाश भी माना गया है|
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तीसरा ज्योतिर्लिंग है और यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है| इसे प्राचीनकाल में अवंती भी कहा जाता था|
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: ओंकारेश्व चतुर्थ ज्योतिर्लिंग है| ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी मध्य प्रदेश में है और यह नर्मदा नदी के तट पर स्थित है|
केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग: केदारेश्वर पंचम ज्योतिर्लिंग है, जो उत्तराखंड में हिमालय की चोटी पर स्थित है और यह केदारनाथ के नाम से विख्यात है|
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: भीमाशंकर छठा ज्योतिर्लिंग है| भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में भीमा नदी के पास सहयाद्रि पर्वत पर स्थित है| भीमा नदी इसी पर्वत से निकलती है| भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है|
विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग: विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग काशी में विराजमान है और यह सातंवा ज्योतिर्लिंग है| यह काशी विश्वानाथ के नाम से प्रसिद्ध है|
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग: त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग आठवां ज्योतिर्लिंग है और यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के पास स्थित है| माना जाता है इस ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा भी विराजमान रहते हैं|
वैघनाथ महादेव: वैघनाथ महादेव को बैजनाथ भी कहते हैं और यह नौवां ज्योतिर्लिंग है, जो झारखंड के देवघर में स्थापित है| इस स्थान को चिताभूमि भी कहा गया है|
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव का यह दसवां ज्योतिर्लिंग बड़ोदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के पास है| इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है| इस ज्योतिर्लिंग को लेकर कई जगह विवाद है| कुछ लोग इसे दक्षिण हैदराबाद के औढ़ा ग्राम में स्थित मानते हैं|
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव का ग्यारवाँ ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में समुद्र के किनारे स्थित है| इस तीर्थ के सेतुबंध भी कहा जाता है|
घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव का बारवां ज्योतिर्लिंग को घृष्णेश्वर या घुसृणेश्वर के नाम से भी जाना जाता है| यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद में स्थित है|
0 Comments