गंगा नदी का उद्गम स्थल, सहायक नदी और महत्व


गंगा भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदी है| हिन्दू धर्म में गंगा नदी को गंगा माँ कहकर पूजा जाता है|मान्यता अनुसार गंगा के पवित्र जल में स्नान से सभी पापों से मुक्ति मिलती है| गंगा को भारतीय संस्कृति की पहचान कहना गलत नहीं होगा|        

गंगा का उद्गम स्थल
गंगा किन राज्यों से होकर जाती है
गंगा की सहायक नदी
गंगा की कहानी
गंगा नदी के वन लाइनर्स


गंगा का उद्गम स्थल

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हिमालय के गंगोत्री हिमनद (ग्लेशियर) के गौमुख नामक स्थान से भागीरथी नदी निकलती है| इसे ही हिन्दू संस्कृति और पौराणिक कथाओं में गंगा का उद्गम स्थल माना जाता है| हालाँकि अलकनंदा नदी ज्यादा लम्बी नदी है,  जिसके भागीरथी से देवप्रयाग में संगम के बाद ही गंगा की शुरुआत मानी जाती है| 

4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री हिमनद के मुख पर गंगोत्री तीर्थ धाम स्थित है जहाँ ग्लेशियर से भागीरथी एक छोटे से गुफानुमा मुख पर प्रकट होती है| भागीरथी नदी का नाम प्राचीन राजा भगीरथ के नाम पर पड़ा| पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगीरथ के 60000 पूर्वज ऋषि कपिला के शाप की वजह से भस्म हो गए थे, जिनकी मुक्ति के लिए गंगाजल का होना आवश्यक था| इसीलिए भगीरथ ने कड़ी तपस्या कर स्वर्ग में भगवान् ब्रह्मा के कमंडल में बैठी गंगा जी को धरती पर बुला लिया| 

अलकनंदा नदी जिसका प्राचीन नाम विष्णु गंगा है, का उद्गम संतोपंथ ग्लेशियर से होता है| अलकनंदा की पांच सहायक नदियाँ हैं जो पांच अलग-अलग जगह पर अलकनंदा से मिलकर 'पंच प्रयाग' बनाती हैं| 

विष्णुप्रयाग में धौलीगंगा नदी अलकनंदा से मिलती है| विष्णुप्रयाग तक अलकनंदा को विष्णुगंगा नाम से जाना जाता है| इसके बाद नंदप्रयाग में अलकनंदा, त्रिशूल पर्वत के पास नन्दाघूंगती नामक स्थान से निकली नंदाकिनी नदी से मिलती है| फिर पिंडारी ग्लेशियर से निकली पिंडर नदी से अलकनंदा का संगम कर्णप्रयाग में होता है| रुद्रप्रयाग में अलकनंदा, मन्दाकिनी नदी से मिलती है| यह एकमात्र ऐसी नदी है जो अलकनंदा में दाहिने तरफ से मिलती है| इस तरह 195 किलोमीटर आने के बाद अलकनंदा नदी का देवप्रयाग में भागीरथी नदी से संगम होता है| यहाँ से इस नदी का नाम गंगा कहलाता है|                         

इस प्रकार गौमुख से निकलकर 250 किलोमीटर के संकरे पहाड़ी रास्ते से होते हुए, गंगा नदी ऋषिकेश होते हुए प्रथम बार मैदानों का स्पर्श हरिद्धार में करती है| 

गंगा किन राज्यों से होकर जाती है

गंगा नदी भारत के पांच राज्यों से होकर गुज़रती है जिसके बाद वह बांग्लादेश में प्रवेश करती है|   

उत्तराखंड 

उत्तराखंड के गढ़वाल छेत्र से उद्गम होने के बाद हिमालय घाटी से 256 किलोमीटर बहते हुए गंगा नदी ऋषिकेश में पहाड़ों से निकलती है| फिर इसके बाद हरिद्धार तीर्थ शहर के मैदानों पर बहते हुए उत्तर प्रदेश राज्य में प्रवेश करती है| 

उत्तरप्रदेश 
उत्तरप्रदेश के बिजनौर, गढ़ मुक्तेश्वर, फरुखाबाद, कन्नौज और कानपूर जैसे प्रमुख शहरों से गुजरती हुई गंगा प्रयागराज में यमुना और सरस्वती नदी से मिलती है, इसलिए इस मिलन को त्रिवेणी संगम कहते हैं| इस संगम पर मिलने वाली यमुना नदी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है|     

बिहार 
उत्तरप्रदेश के प्रयागराज से आगे बढ़ती हुई गंगा बनारस से होते हुए गाज़ीपुर के बाद बिहार में प्रवेश करती है| जिसके बाद अरा, पटना छपरा, हाजीपुर, बक्सर, बलिया, भागलपुर, सुल्तानगंज जैसे बिहार के प्रमुख शहरों को सींचती हुई गंगा झारखण्ड को छूती हुई पश्चिम बंगाल में जाती है|    

झारखण्ड 
झारखण्ड में गंगाजी साहिबगंज से होते हुए पूर्व की तरफ पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ती हैं|   

पश्चिम बंगाल 
पश्चिम बंगाल में गंगा मुर्शिदाबाद, कोलकाता और बारानगर से होकर बांग्लादेश में प्रवेश करती है| बंगलादेश में गंगाजी की मुख्य धारा को पदमा कहकर पुकारते हैं, जहाँ यह जमुना नदी फिर मेघना नदी से मिलती है| फिर आखिर में मेघना मुहाने से बंगाल की खाड़ी में समां जाती है|    

गंगा की सहायक नदी

 सहायक नदी  दाएं/बाएं राज्य  
 रामगंगा  बाएं  उत्तरप्रदेश 
 यमुना  दाएं  उत्तरप्रदेश
 तमसा  दाएं   उत्तरप्रदेश  
 गोमती बाएं  उत्तरप्रदेश
 घाघरा  बाएं बिहार 
 सोन  दाएं  बिहार 
 गंडक  बाएं   बिहार 
 पुनपुन  दाएं  बिहार 
 बुरहि गंडक बाएं   बिहार
 कोशी  बाएं  बिहार 
 महानंदा  बाएं   बांग्लादेश  
 ब्रह्मपुत्र  बाएं   बांग्लादेश  

गंगा की कहानी 

सबसे ज्यादा प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार राजा सगर ने देवलोक को जीतने के लिए अश्वमेध यज्ञ करने का निश्चय किया| राजा का निश्चय देख देवों के राजा इंद्र घबरा गए और उन्होनें यज्ञ के घोड़े चुरा लिया और ऋषि कपिल के आश्रम में बाँध के रखा| साठ हज़ार पुत्रों के पिता राजा सगर ने घोड़े को ढूंढने के लिए अपने पुत्रों को जंगल की तरफ भेजा| आश्रम में घोड़ा देख उन सभी को लगा कि ऋषि ने ही घोड़ा चुराया है और इसलिए राजा के पुत्रों ने ऋषि से युद्ध के लिए फुकार भरी| 

ऋषि कपिल उस समय तपस्या कर रहे थे और सगर राजा के पुत्रों की आवाज़ से उनकी तपस्या भंग हुई| क्रोध में आकर ऋषि ने सभी को भस्म होने का श्राप दे दिया जिससे वे सभी भस्म हो गए| राजा सगर ने जब यह समाचार सुना तो वह बहुत दुखी हुए पर उनके पास अपने पुत्रों को जीवित करने का कोई उपाय नहीं था| 

राजा सगर के नातू अंशुमान को जब अपने पूर्वजों की मृत्यु का पता चला तो उन्होनें ऋषि कपिल के आश्रम जाकर नम्रतापूर्वक उनको नमस्कार किया| अंशुमान के स्वभाव से ऋषि खुश हुए और घोड़े को उनके हवाले कर दिया| लेकिन अंशुमान के पूर्वजों को जिन्दा करना उनके बस में नहीं था| उन्होनें अंशुमान से कहा कि गंगा नदी का प्रवाह जब इस आश्रम में आएगा तब ही उसके पूर्वजों का उद्धार होगा|   

गंगा नदी उस समय ब्रह्मदेव के कमंडल में थी| अंशुमान ने गंगा नदी को धरती पर लाने के लिए ब्रह्मदेव की तपस्या करी लेकिन वे प्रसन्न नहीं हुए| बाद में अंशुमान के लड़का राजा दिलीप भी तपस्या करता है पर उसका भी परिश्रम व्यर्थ जाता है| राजा दिलीप के बेटे भगीरथ को सिद्धि प्राप्त थी| उसने ब्रह्मदेव की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया और गंगा नदी को धरती पर लाया| इसलिए ही गंगा को भागीरथी भी कहते हैं| 

ब्रह्मा के कमंडल से निकला हुआ गंगा का तेज प्रवाह एक साथ धरती पर ना गिरे इसलिए भगवान् शंकर ने कैलाश पर्वत पर खड़े रहके गंगा के प्रवाह को पाने जटाओं में बाँध लिया| भगीरथ को तो गंगा को ऋषि कपिल के आश्रम तक ले जाना था, इसलिए उन्होनें भगवान् शंकर के लिए तपस्या की| जिससे भगवान् शंकर प्रसन्न हुए और गंगा को अपनी जटाओं से मुक्त किया| 

भगवान् शंकर की जटाओं से गंगा निकली तो रास्ते में जहु ऋषि तप कर रहे थे| गंगा के प्रवाह से उनका आश्रम बह गया जिससे वे बहुत क्रोधित हुए और गंगा के प्रवाह को पीने लगे| राजा भगीरथ को पुनः जहु ऋषि को प्रसन्न करने के लिए तीसरी बार तप करना पड़ा| राजा की तपस्या से ऋषि जहु प्रसन्न हुए और गंगा को बहार निकाला| इसलिए गंगा को जहुतनिया भी कहते हैं| 

इस प्रकार भगीरथ गंगा को अपने पीछे-पीछे हज़ारों किलोमीटर दूर ऋषि कपिल के आश्रम तक लेकर आये| जिससे उनके पूर्वजों का उद्धार हुआ| ऋषि कपिल के आश्रम बंगाल की खाड़ी के पास ही था इसलिए गंगा नदी हज़ारों किलोमीटर दूर आकर बंगाल की खाड़ी के समुन्दर में मिलती है|                                        

गंगा नदी पर वन लाइनर्स    

  • गंगा नदी हिमालय से निकलकर दो देश भारत और बांग्लादेश से होकर बंगाल की खाड़ी में मिलती है|
  • गंगा नदी को बांग्लादेश में पदमा नदी कहा जाता है| 
  • यमुना नदी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है|     
  • गंगा नदी की लम्बाई लगभग 2600 किलोमीटर है जब इसका उद्गम भागीरथी के उद्गम से और इसका मुहाना बंगाल की खाड़ी में मेघना नदी का मुहाना समझा जाता है| जहाँ भारत में यह गंगा नाम से 2304 किलोमीटर लम्बी है और फिर इसका नाम पद्मा हो जाता है| 
  • महाराष्ट्र की गोदावरी नदी को दक्षिण गंगा कहा जाता है| 
  • गंगा दशहरा ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है| 

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