Days in a Calendar year || 365 or 366 || साल में 365 दिन क्यों होते हैं

क्या कभी सोचा है कि एक सेकण्ड पल भर का ही क्यों होता है? एक हप्ते में सात दिन क्यों होते हैं?एक महीना कभी 28, कभी 29, कभी 30, कभी 31 दिन का क्यों होता है? एक साल में 12 महीने क्यों होते हैं? प्रत्येक वर्ष 365 या 366 दिन के ही क्यों होते हैं? आज हम इसी विषय में कुछ जानकारी साझा करते हैं| 

सदियों पहले ज्ञानी व्यक्ति यह सोचते रहे होंगे कि रात के बात दिन और दिन के बाद फिर रात अवश्य होती है, और इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता | इसी प्रकार कुछ समय बाद सर्दियां आ जाती हैं और फिर गर्मियां | क्यूंकि उस समय कोई समय मापने के लिए घडी तो होती नहीं थी इसलिए समय और मौसम का अंदाज़ आसमान देख कर लगाया जाता होगा | जब सूरज निकला तो सुबह जब डूबा तो शाम, जब सर के ठीक ऊपर तो दोपहर | ठीक इसी प्रकार आकाश में नक्षत्र (Constellation) का स्थान देख कर मौसम का अंदाज़ा लगाते होंगे | जैसे सप्त-ऋषि अभी इस स्थान में हैं तो यह मौसम, अभी दूसरे स्थान में हैं तो दूसरा मौसम आदि | समय का सटीक आकलन करना उस समय के हिसाब से थोड़ा मुश्किल रहता होगा | पर समय के साथ साथ आविष्कार होते रहे और समय की खोज में हम आगे बढ़ते रहे | और आज हम ऐसी दुनिया में हैं जहाँ एक सेकंड के सौवे हिस्से में विश्व रिकॉर्ड बन जाता है | 

एक साल में 365 या 366 दिन ही क्यों होते हैं? Why do we have 365 or 366 days in a year?

सालों पहले यह माना जाता था कि पृथ्वी मध्य में है और सूरज इसके चक्कर लगाता है | परन्तु वर्षों के परिश्रम के बाद यह बात गलत साबित हुई | आज के समय में हमको पता है की सूरज मध्य में है और पृथ्वी इसका एक चक्कर 365.2422 दिन में लगाती है | तो इसी कारण हमारा एक वर्ष 365 दिन का होता है | अगर यह नहीं होता तो हमारे देश में गर्मी कभी मई में होती तो कभी दिसंबर में | इसका मतलब हमने अपना साल पृथ्वी के एक चक्कर के बराबर रख दिया जिससे आने वाले वर्षों में हमें दुविधा न हो | 

अब सवाल यह उठता है कि साल के 365 दिन तो सही है पर पृथ्वी तो 365.2422 दिन का समय ले रही है एक वर्ष के लिए | इसको समायोज़ित (adjust) करने के लिए हमने हर चौथे साल में फरवरी का एक दिन बड़ा दिया, इसी लिए हर चौथे वर्ष फरवरी में 29 दिन होते हैं, यानि हर चौथे वर्ष में 366 दिन होंगे | अब आप गणितज्ञ की तरह सोचने लगे तो आप कहेंगे की 366 दिन क्यों, अगर हम पिछले 3 वर्ष "0.2422" दिन के समय को छोड़ते आ रहे हैं और चौथे वर्ष उसको पूरा (cover) करने के लिए हमें 0.9688 दिन की जरुरत थी पर हमने एक दिन क्यों जोड़ दिया | इसके लिए भी प्रवधान किया हुआ है, हर चौथे वर्ष में 366 दिन होते हैं जिसे हम लीप ईयर (leap year) कहते हैं, परन्तु किसी सदी का आखरी साल (1500वा , 1600वा, 1700वा आदि) लीप ईयर तभी होगा जब वो 400 से भाग होगा | मतलब हर चौथे वर्ष के हिसाब से वर्ष 1900 लीप ईयर होना था , किन्तु वो 400 से भाग नहीं होता तो 1900वा  वर्ष भी 365 दिन का ही था |  और इसी प्रकार 2000वा साल 400 से भाग करता है तो वह 366 दिन का हुआ |

रात और दिन क्यों होते हैं ? Why do we have night and day?

हमारी पृथ्वी अपने ही एक्सिस पर घूमती है, ठीक वैसे, जैसे कोई स्पिन गेंदबाज़ बॉल फेकता है, तो बॉल घूमती हुई आगे बड़ती है| क्यूंकि पृथ्वी लगातार एक ही गति से आगे बड़ रही है और घूम रही है तो हमें यह महसूस नहीं होता, जैसे समान गति से चलती हुई रेलगाड़ी में उसके चलने का एहसास नहीं होता|
पृथ्वी अपना एक चक्कर लगाने में 24 घंटे का समय लगाती है| इसमें रोशनी सूरज से आती है| क्यूंकि सूरज  की रोशनी एक समय में पृथ्वी के एक ही हिस्से में पड़ती है, तो उसी जगह पर दिन होता है और आधी पृथ्वी में अन्धकार होने से रात| चूँकि पृथ्वी घुम रही है तो यह रात दिन का सिलसिला सदैव चलता रहता है| अगर भारत में दिन होगा तो अमेरिका में रात क्यूंकि वो पृथ्वी के दूसरे छोर में स्थित है |


दिन में आसमान देख कर हमें प्रतीत होता है जैसे सूरज चल रहा है, परन्तु ऐसा है नहीं | सूरज तो अपनी ही जगह पर है और पृथ्वी घुम रही है तो हमें सूरज चलता दिखाई देता है, ठीक उसी प्रकार जैसे चलती रेलगाड़ी में दूर खड़े पेड़ हमें चलते दिखाई पड़ते हैं पर असल में पेड़ नहीं रेल चल रही होती है|

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