चंद्र ग्रहण 2022 महत्वपूर्ण जानकारी और महत्व | Lunar Eclipse 2022 in India

चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) 2022 

चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) एक खगोलीय घटना हैं| वैज्ञानिक रूप से जितना यह महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण यह धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी होता है| आइये जानते हैं चंद्र ग्रहण के बारे में|

अंतरिक्ष में हमारी खगोलीय स्थिति 

हमारे सौर मंडल में पृथ्वी सूरज के लगातार चक्कर लगा रही है और इसी प्रकार चन्द्रमा भी पृथ्वी के चक्कर लगाता है| सूरज की ऊर्जा से ही पृथ्वी और चन्द्रमा में रात और दिन होते है| चन्द्रमा और पृथ्वी के जिस भाग में सूरज की रोशनी नहीं पड़ती वहां अँधेरा(रात) रहता है| 

चंद्र ग्रहण होने का कारण  (Why Lunar Eclipse occurs)     

चन्द्रमा के लगातार पृथ्वी की परिक्रमा के कारण कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है जब पृथ्वी के एक तरफ सूरज और दूसरी तरफ चन्द्रमा होता है| ऐसी परिस्थिति में सूरज के प्रकाश से पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ने के कारण उसमें अँधेरा दिखाई पड़ता है| ठीक उसी प्रकार जैसे हमारी छाया जब धरती पर पड़ती है तो धरती का वह भाग काला दिखाई देता है|    
     

चंद्र ग्रहण और पूर्णिमा 

हमें आसमान में जो चाँद दिखाई देता है उसकी चमक का कारण सूरज की रोशनी ही है जो हर समय अंतरिक्ष में उसके आधे भाग को चमकदार रखती है| पृथ्वी के दृष्टिकोण से हमें चाँद कभी आधा चमकदार कभी पूरा चमकदार(पूर्णिमा) दिखाई पड़ता है, इसका कारण है चन्द्रमा का पृथ्वी के चारों और घूमना| अब यह तो संभव नहीं की पृथ्वी की छाया चाँद में हर समय पड़े| इसके लिए चाँद को पृथ्वी पर पड़ने वाले सूरज के प्रकाश के विपरीत दिशा में आना ही पड़ेगा| और क्यूंकि चाँद विपरीत दिशा में है तो पृथ्वी के दृष्टिकोण से रात में चाँद का पूरा चमकदार भाग दिखाई देगा, जिसके कारण यह समय पूर्णिमा का समय भी अवश्य होगा|     

ऐसी खगोलीय घटना में जब सूरज, पृथ्वी और चन्द्रमा एक ही रेखा में आ जाते हैं, तो सूरज से निकलने वाला प्रकाश पृथ्वी के बीच में आने के कारण चाँद तक नहीं पहुँच पाता| या हम कहें की पृथ्वी की छाया चाँद पर पड़ती है और इसे ही चंद्र ग्रहण कहा जाता है|

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के एक ही महीने में पड़ने की संभावना क्यों होती है!!!! जानने के लिए सूर्य ग्रहण का लेख भी अवश्य पढ़िए!!! 

क्यों नहीं होता हर पूर्णिमा में चंद्र ग्रहण  

आपने अगर चंद्र ग्रहण और पूर्णिमा के पीछे का तर्क और विज्ञान समझ लिया है तो यह प्रश्न आपके जहन में जरूर आएगा कि साल की हर पूर्णिमा के समय चंद्र ग्रहण क्यों नहीं पड़ता| इसके पीछे का कारण है सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा (Ecliptic plane) के समतल होने पर पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की कक्षा (Lunar orbit plane) 5 डिग्री झुकी होना| नतीजतन, पृथ्वी की छाया पूर्णिमा के समय या तो चन्द्रमा के ऊपर या नीचे से गुज़र जाती है| 
    

साल में कब-कब पड़ता है चंद्र ग्रहण 

क्यूंकि पृथ्वी सूरज का चक्कर लगाती है तो कम से कम साल में दो बार तो सूरज, पृथ्वी और चन्द्रमा एक रेखा में आएंगे ही| इस कारण वर्ष में दो बार चंद्र ग्रहण अवश्य होगा| यह पृथ्वी के किस हिस्से से पूर्णतः दिखाई देगा, किस हिस्से से इसका कुछ अंश ही दिखाई देगा या किस हिस्से से दिखाई ही नहीं देगा यह तो पृथ्वी की उस समय की स्थिति और स्थान पर निर्भर करता है|


चंद्र ग्रहण के प्रकार (Types of Lunar Eclipse) 

चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं| जब पृथ्वी की छाया पूर्ण रूप से चाँद को ढक लेती है और पूर्णिमा के समय चन्दमा काला (धुंधला) हो जाता है, उस खगोलीय घटना को पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) कहते हैं| अगर सूर्य और चन्द्रमा के ठीक बीच में पृथ्वी ना आये और पृथ्वी की छाया चन्द्रमा के कुछ हिस्से पर ही पड़े तो चन्द्रमा का एक खंड ही पृथ्वी से काला दिखाई देगा| इस प्रकार के ग्रहण को आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse) कहते हैं|

तीसरा चंद्र ग्रहण का प्रकार है खंडच्छायायुक्त चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse)| इसमें चन्द्रमा पृथ्वी की छाया से धुंधला नहीं होता बल्कि इस समय पृथ्वी की उपछाया उसपर उपस्थित होती है|   

साल 2022 में चंद्र ग्रहण कब-कब पड़ेगा  (Lunar Eclipse 2022)  

2022 में पहला चंद्र ग्रहण 16 मई को लगा, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं दिया| अगला चंद्र ग्रहण 08 नवंबर 2022 को लगेगा| 2021 में चंद्र ग्रहण 26 मई को लगा जो एक पूर्ण चंद्र ग्रहण था| इसके बाद 18-19 नवंबर को  आंशिक चंद्र ग्रहण लगा|           

भारत में चंद्र ग्रहण का महत्व (Importance of Lunar Eclipse in India)  

वैदिक काल से पहले भी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण जैसी खगोलीय सरंचना और उनकी पुनरावृत्ति की पूर्व सुचना उपलब्ध थी| ऋग्वेद के अनुसार अत्रिमुनि के परिवार को यह ज्ञान था | वेदांग ज्योतिष का महत्व हमारे वैदिक पूर्वजों के इस महान ज्ञान को दर्शाता है|   

चंद्र ग्रहण के समय सूतक काल माना जाता है जब किसी भी तरह का शुभ कार्य शुरू नहीं किया जा सकता| जब भी सूतक काल लगता है तो उस दौरान भगवान की मूर्तियों को ना तो छुआ जाता है ना ही पूजा होती है| सूतक काल में गर्भवती महिला को घर से बाहर ना निकलने को कहा जाता है और इस समय भगवान का ध्यान और मंत्रो का जप करने से ग्रहण का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है|    

Post a Comment

0 Comments