मकर सक्रांति, उत्तरायण त्यौहार (Makar sakranti and Uttarayan Festival) और दक्षिणायन का ज्ञान विज्ञान

सक्रांति, उत्तरायण और दक्षिणायन

आज के समय आप सभी को कुछ बातों का ज्ञान जरूर होगा जैसे सूरज पूर्व दिशा से निकलता है, हमारे एक साल में 12 महीने होते हैं और हर साल 14-15 जनवरी को मकर सक्रांति होती है| लेकिन क्या आपको यह जानकारी है कि सूरज साल में केवल दो बार ही ठीक पूर्व से निकलता है और सक्रांति, उत्तरायण और दक्षिणायन का वैज्ञानिक अर्थ क्या है? आज हम इसी को जानने का प्रयास करेंगे| 

उत्तरायण और दक्षिणायन क्या हैं? 
बचपन से हमें यह पढ़ाया गया है की सूर्य पूर्व दिशा से निकलता है पर खगोल विज्ञान का अध्ययन करें तो एक साल में केवल दो बार ही ऐसा सयोंग होता है जब सूरज ठीक पूर्व से निकलता है और अन्य पुरे साल यह या तो पूर्व से उत्तर की तरफ या दक्षिण की तरफ होता है| 
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यह दो दिन 21 मार्च और 21 सितम्बर के आसपास आते हैं| इसी समय दिन और रात भी बराबर होते हैं| 21 दिसंबर (Winter Solstice) को सूरज अत्यधिक दक्षिण छोर से उगता है और इसके बाद सूरज धीरे-धीरे उत्तर की तरफ से निकलते हुए 21 जून  (Summer Solstice) को अत्यंत उत्तरी छोर से निकलता है| 
  
जब सूरज निकलते हुए प्रतिदिन उत्तर की तरफ बढ़ रहा हो, तो उस घटना को उत्तरायण और जब दक्षिण की तरफ बढ़ रहा हो उसे दक्षिणायन कहते हैं|21 दिसंबर (Winter Solstice) के बाद जब 14-15 जनवरी के पास सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो भारत में इसे मकर सक्रांति (Makar Sakranti) के पर्व के रूप में मनाते हैं| मकर सक्रांति से लेकर छह महीने बाद कर्क सक्रांति तक सूरज उत्तरायण दशा में रहता है और इस समयान्तराल को उत्तरायण  (Uttarayan) कहते हैं| 

फिर 21 जून (Summer Solstice) के बाद सूर्य के 14 जुलाई को कर्क राशि में प्रवेश करने की घटना (कर्क सक्रांति) से अगली मकर सक्रांति तक, छह महीने का काल दक्षिणायन कहलाता है| इस प्रकार एक साल का समय उत्तरायण और दक्षिणायन में विभाजित है|   

अगर हम उत्तरायण और दक्षिणायन शब्द के अर्थ पर ध्यान दें तो यह दो शब्द के मेल से बना है - उत्तर+अयन जिसका मतलब है उत्तर में गमन, और दक्षिण+अयन जिसका मतलब दक्षिण में गमन| 
  
उत्तरायण और दक्षिणायन क्यों होते हैं 
हमारी पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करते हुए खुद अपने ध्रुव में भी घूमती है| जहाँ सूरज की परिक्रमा से एक साल का समय निर्धारित होता है वहीँ पृथ्वी का अपने एक्सिस में घूमना दिन-रात होने का कारण बनता है| पर एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि पृथ्वी का घूमने का एक्सिस 23.5 डिग्री झुका हुआ है| इसी कारण धरती पर मौसम का परिवर्तन होता है| 

       
भारत पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में पड़ता है और उत्तरायण के बाद ऐसी स्थिति होती है की सूरज की सीधी किरणे मकर रेखा (Tropic of capricorn) तक पहुँच वापस उत्तर की तरफ बढ़ने लगती हैं| कुछ महीनों बाद यह उत्तरी गोलार्द्ध में सीधा पड़ती हैं जिस कारण भारत जैसे देशों में गर्मियां चरम पर होती हैं| फिर जुलाई महीने तक उत्तर की तरफ बढ़ने के बाद दक्षिणायन का आरम्भ होता है जब कर्क रेखा तक पहुँच कर फिर से सूरज की किरणे प्रतिदिन दक्षिण की तरफ आने लगती हैं| और यह सिलसिला हर साल चलता रहता है| जिस कारण उत्तरायण और दक्षिणायन होते हैं|     



बारह राशियाँ 
खगोल शास्त्र के सूर्यपथ में पृथ्वी के दृष्टिकोण से आने वाले तारामंडल के नाम पर साल को 12 राशियों में बाटा गया है| जैसे की मिथुन तारामंडल के नाम पर मिथुन राशि| हमारी पृथ्वी और ग्रह, सूरज के चारों तरफ घूमते हैं| पर धरती पर बैठ कर देखें तो पृथ्वी के सापेक्ष, सूरज और ग्रह इन 12 तारा समूहों से गुजरते हैं|  हमारे पूर्वजों ने हर तारा समूह को कोई ना कोई आकृति दी हैं और इन्हें राशि कहा जाने लगा है| 
बारह राशियाँ इस प्रकार हैं-
मेष राशि 
वृष राशि 
मिथुन राशि 
कर्क राशि 
सिंह राशि 
कन्या राशि 
तुला राशि 
वृश्चिक राशि 
धनु राशि 
मकर राशि 
कुम्भ राशि 
मीन राशि 

जब भी सूरज कोई राशि बदलता है तो उस खगोलीय घटना को सक्रांति कहा जाता है| भारत में दो सक्रांति का खास महत्व है- मकर सक्रांति और कर्क सक्रांति|   

मकर सक्रांति: सूरज का मकर राशि में प्रवेश 
मकर सक्रांति वह पहला दिन होता है जब सूर्य मकर रेखा (Tropic of Capricorn) से पृथ्वी के उत्तरी छोर की तरफ बढ़ना शुरू हो जाता है| इस दिन को शीतकालीन अनंतमाह (Winter Solstice) के आखरी दिन के रूप में भी देखा जाता है| इस दिन से पृथ्वी का उत्तरी भाग (जैसे भारतवर्ष) गर्म और दिन लम्बे होने लगते हैं और दक्षिणी भाग ठंडा और रातें लम्बी होने लगती हैं| 



मकर सक्रांति का त्यौहार (Makar Sakranti Festival) 
मकर सक्रांति को पुरे भारत में अलग-अलग तरीके से और अलग-अलग नामों के साथ मनाया जाता है| जैसे बिहार और झारखण्ड में मकर सक्रांति को सक्रान्त के नाम से जाना जाता है|इस दिन वहां दही चूड़े का बहुत महत्व है| मकर सक्रांति को भारत में माघी के नाम से भी जाना जाता है और यह दिन हिन्दू कैलेंडर में सूर्य देव को समर्पित होता है| पंजाब में मकर सक्रांति को 'माघी' (Maghi) ही कहते हैं| यहाँ सुबह जल्दी उठकर नदी में नहाना महत्वपूर्ण होता है| माघी के दिन खीर, खिचड़ी और गुड़ खाने की प्रथा है| गुजरात में मकर सक्रांति को 'उत्तरायण' (Uttarayan Festival) के रूप में मनाया जाता है| इस दिन पतंगे भी उड़ाई जाती हैं| असम में इस त्यौहार को माघ 'बिहू'(Bihu) कहते हैं| वहीँ दक्षिण भारत में  सक्रांति को 'पोंगल' (Pongal)  के रूप में मनाया जाता है| तमिल नाडु में इस त्यौहार में पारम्परिक खेल जालीकट्टु का आयोजन किया जाता है| 
           
एक मान्यता यह है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपना देह त्यागने के लिए इसी पुण्य दिवस का चयन किया था| वैदिक साहित्य में उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन का देवताओं की रात्रि के रूप में उल्लेख मिलता है|             

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