भारतीय रेलवे के विकास की महत्वपूर्ण घटनाएँ Developments of Indian Railway

विश्वभर के देशों में होने वाले रेलवे के विकास को उस देश की सभ्यता के विकास से जोड़ कर देखा जा सकता है| भारत में रेलवे का आगमन उन्नीसवीं सदी में हुआ जब सन 1853 में एक स्टीम इंजन और चार कोच के साथ भारत में पहली रेलगाड़ी बॉम्बे से ठाणे के लिए रवाना हुई| तब से लेकर आज तक भारतीय रेलवे ने हिमालय से कन्याकुमारी और द्वारका से डिब्रूगढ़ तक एक विशाल रेल नेटवर्क विकसित कर लिया है| आइये जानते हैं भारतीय रेलवे की विकासपथ को: 

1831-1833: दक्षिण भारत की परिवहन प्रणाली में सुधार के लिए मद्रास(चेन्नई) से बैंगलोर(बेंगलुरु) के बीच रेलवे लाइन बिछाने की कल्पना पर पहला विचार किया गया|
1844: आर.एम.स्टेफनसन ने  भारत में रेलवे लाइन बिछाने के उद्देश्य से ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी बनाई| 
1845-1846: कलकत्ता (कोलकाता) से दिल्ली तक नई रेलवे लाइन के लिए परीक्षण सर्वेक्षण किया गया| 
1848-1849: हावड़ा से रानीगंज तक रेलवे लाइन का निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ|                         
1850: बॉम्बे से ठाणे तक की रेलवे लाइन का निर्माण कार्य ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे कंपनी द्वारा शुरू किया गया| 
1853: 16 अप्रैल 1853 को बॉम्बे से ठाणे के बीच 34 किलोमीटर की रेलवे लाइन को पहली बार यात्री यातायात के लिए खोल दिया गया|      
1854: 15 अगस्त 1854 को हावड़ा से हुगली के बीच 39 किलोमीटर की रेलवे लाइन को यात्री यातायात के लिए खोला गया| 
1856: वयसारपदी से वलजह के बीच 100 किलोमीटर की रेलवे लाइन को मद्रास रेलवे कंपनी के बैनर के तहत खोला गया| इस लाइन का प्रस्ताव 1831 में पहली बार रखा गया था, हालाँकि इसका निर्माण कार्य 1854 में पूरा किया जा सका| दक्षिण भारत में पहली बार रेलगाड़ी 1856 में रोयापुरम से वलजह रोड (अरकोट) तक चली| 
1866: कलकत्ता(राजधानी) को बॉम्बे, दिल्ली और अमृतसर से रेलवे लाइन द्वारा जोड़ लिया गया| 
1871: भारत में मीटर गेज को सस्ता और इकोनॉमिक होने के कारण पेश किया गया| 
1873: पहली मीटर गेज लाइन दिल्ली से फरुखनगर तक खोली गई| 
1881: पहली पहाड़ी रेलवे (दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे- नैरो गेज) का शुभारंभ किया गया| 
1887: बॉम्बे में विक्टोरिया टर्मिनस रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया|              
1891: थर्ड क्लास कोच में टॉयलेट लगाए गए| 
1903: 09 नवंबर 1903 को 96 किलोमीटर लम्बी कालका-शिमला नैरो गेज लाइन यातायात के लिए खोली गई| 
1905: रेलवे बोर्ड का कार्यालय, एक प्रेजिडेंट और दो सदस्यों के साथ शुरू किया गया| 
1922: रेलवे बोर्ड को अतिरिक्त पावर के साथ पुनर्निर्मित किया गया| 
1924: रेलवे बजट को आम बजट से अलग करा गया| 
1924: रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन हुआ जिसमें मुख्य आयुक्त को प्रेजिडेंट, और दो अलग सदस्यों को रखा गया|  
1925: रेलवे कंपनी पर नियंत्रण करने के लिए सामान्य निति के रूप में, सरकार ने ईस्ट इंडिया रेलवे और ग्रेट इंडिया पेनिनसुला रेलवे के मैनेजमेंट को अपने हाथ में ले लिया| 
1925: पहली रेलवे लाइन का इलेक्ट्रिफिकेशन हुआ जिसमें ग्रेट इंडिया पेनिनसुला रेलवे की हारबर ब्रांच लाइन भी सम्मिलित थी| 
1931: मद्रास बीच से तंबारम और मद्रास एग्मोर, तंबारम स्टेशन पर डबल ट्रैक इलेक्ट्रिफिकेशन का कार्य 02 अप्रैल को पूरा हुआ, और पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 11 मई को चली| 
1936: यात्री कोच में वातानुकूलित तंत्र लगाए जाने लगे|
1937: बरमा (थाईलैंड) भारत से अलग हुआ और 3200 किलोमीटर की रेलवे लाइन भारतीय रेलवे से अलग हुई| 
1947: स्वतंत्रता के समय भारत का विभाजन हुआ और रेलवे लाइन और संपत्ति भारत और पाकिस्तान में बांटी गई| 
1950: चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स में भाप इंजन का उत्पादन शुरू हुआ| 
1952: वड़ोदरा में रेलवे स्टाफ कॉलेज की स्थापना हुई|                       
1952: रेलवे टेस्टिंग एंड रिसर्च सेंटर(RTRC) की स्थापना हुई| 
1952: इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), मद्रास को सभी वेल्डेड स्टील और हल्के अभिन्न डिब्बों के लिए उत्पादन इकाई के रूप में स्थापित किया गया| 
1954: रेलवे बोर्ड के शीर्ष पद मुख्य आयुक्त का नाम बदलकर रेलवे बोर्ड चेयरमैन करा गया|       
1955: इंडियन रेलवे इंस्टिट्यूट फॉर सिविल इंजीनियरिंग की पुणे में स्थापना हुई| 
1957: इंडियन रेलवे इंस्टिट्यूट फॉर सिग्नल एंड टेलीकम्यूनिकेशन की सिकंदराबाद में स्थापना हुई| 
1957: RTRC और कई अलग स्टैण्डर्ड कमीटी का विलय कर लखनऊ में रिसर्च डिज़ाइन एंड स्टैण्डर्ड आर्गेनाईजेशन RDSO को स्थापित किया गया| 
1957: भारतीय रेलवे ने 25kV, 50-साईकल, सिंगल-फेज, AC सिस्टम को रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए अपनाने का फैसला किया| 
1957: रेलवे प्रोटेक्शन फाॅर्स (RPF) का गठन हुआ| 
1961: वाराणसी में डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (DLW) की स्थापना हुई और चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (CLW)  में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव बनाने का कार्य शुरू हुआ| 
1969: डिवीजनल सिस्टम को भारतीय रेलवे में समान रूप से अपनाया गया| 
1969: 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से चलने वाली नई दिल्ली-हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस शुरू की गई| 
1974: रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकनोमिक सर्विसेज (RITES) का गठन हुआ| 
1976: इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन कंपनी (IRCON) का गठन हुआ| 
1984: कोलकाता में पहली मेट्रो रेल शुरू करी गई| 
1985: कंप्यूटराइज्ड पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम की शुरुआत हुई| 
1987: रेल कोच फैक्ट्री (RCF), कपूरथला की स्थापना हुई| 
1988: नई दिल्ली-झांसी के बीच पहली शताब्दी ट्रेन शुरू करी गई| 
1988: कंटेनर कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (CONCOR) का गठन हुआ|                              
1998: कोंकण रेलवे 26 जनवरी 1998 को पूर्ण रूप से चालू हुआ| 
1999: दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को UNESCO द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया| 
2002: जन शताब्दी ट्रेन शुरू करी गई| 
2003: भारतीय रेलवे में 01 अप्रैल 2003 से 16 जोन (इससे पहले 09 जोन) और 67 डिवीज़न (इससे पहले 59 डिवीज़न) बनाये गए| 
2008: 24 अक्टूबर 2008 को सिकंदराबाद से विशाखापट्नम के बीच गरीब रथ एक्सप्रेस का उद्घाटन किया गया| 
2008: 09 नवंबर 2008 को कालका-शिमला रेल सेक्शन को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया| 
2010: क़ाज़ीगुंड से बारामुला के बीच कश्मीर घाटी में पहली रेल यात्री सेवा की शुरुआत हुई| 
2010: 29 दिसंबर 2010 को मेट्रो रेल को नया रेलवे जोन घोषित किया गया| 
2014: रेल मंत्री डी.वी.सदानंद गौड़ा ने भारत की पहली बुलेट ट्रेन और नौ हाई-स्पीड रेलवे रूट बनाये जाने की घोषणा करी|      
2016: 21 सितम्बर 2016 को भारत सरकार ने रेलवे बजट और आम बजट का विलय करने का फैसला किया|   
2019: 24 दिसंबर 2019 को केंद्रीय मंत्रालय ने रेलवे बोर्ड के सदस्यों की संख्या घटाकर आठ से पांच करी|     

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