कारगिल विजय दिवस की कहानी | Kargil Victory Day 2024

Kargil Victory Day 2024: कारगिल युद्ध, भारतियों की वीरता का गवाह है| करीब 18000 फ़ीट ऊंचाई पर लड़े गए इस युद्ध में मौत का सामना करते हुए भारतीय जवानों ने कारगिल पर विजय हासिल की| मातृ भूमि की रक्षा करते हुए इस जंग में 527 भारतियों ने वीरगति प्राप्त करी और 1300 से अधिक जवान घायल हुए| इस साल जब देश आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है, तो कारगिल विजय दिवस का समारोह और महत्वपूर्ण हो जाता है| आइये जानते हैं कारगिल युद्ध की कहानी और कारगिल विजय दिवस (Kargil Victory Day) मनाए जाने का कारण|   

kargil vijay diwas 2024

19 फरवरी 1999 को भारत के प्रधान मंत्री स्व श्री अटल विहारी वाजपेयी ने शांति का सन्देश देने के लिए पहल करते हुए बस में अमृतसर से पाकिस्तान के लाहौर तक यात्रा की थी| इसे बस डिप्लोमेसी का नाम दिया जाता है| इस समय पाकिस्तान में नवाज शरीफ की सरकार थी| यहाँ पर भारत-पाकिस्तान के बीच शांति के कई समझौते हुए थे| इसी में कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था| लेकिन इसके उलट पाकिस्तान अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बालों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा| उसने इस घुसपैठ का नाम ऑपरेशन बद्र रखा था, जिसका उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था| साथ ही इस क्षेत्र में तनाव पैदा करके पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को अंतराष्ट्रीय मुद्दा बनाना चाहता था| 
लाहौर शांति समझौते के कुछ महीनों के अंतराल में ही कारगिल युद्ध छिड़ गया| कारगिल वर्तमान में लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में एक जिला है| 1999 में यह जम्मू-कश्मीर राज्य का एक जिला हुआ करता था| इसकी उत्तरीय सीमा जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से मिलती है, उसे लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल कहा जाता है| उस समय श्रीनगर से लेह तक जाने वाला एकमात्र सड़क मार्ग कारगिल की पहाड़ियों से होकर जाता था| इसी रोड की मदद से सियाचिन ग्लेशियर तक पहुँचने में आसानी होती थी|   

कारगिल में सर्दियों के समय में तापमान माइनस 50 डिग्री तक पहुँच जाता है| इसलिए भारतीय सेना सर्दियों में ऊँची पोस्ट से वापस आ जाती और मई महीने में फिर से पोस्ट पर तैनात हो जाती थी| ऐसा ही पाकिस्तान की सेना भी किया करती थी| लेकिन 1999 में पाकिस्तानी सेना ने कई महीने पहले से ही पोस्ट पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया| और एल.ओ.सी से सटी ऊँची पहाड़ियों पर तैनात हो गई| 03 मई 1999 को एक चरवाहे ने भारतीय सेना को पहाड़ियों पर हथियार से लैस घुसपैठियों के होने की जानकारी दी|   

पाकिस्तान सैनिकों और घुसपैठियों के नापाक इरादों को भारतीय सैनिक समझ चुके थे| इस तरह कारगिल की पहाड़ियों पर कब्ज़ा करने से भारतियों का सियाचिन के साथ लेह से भी संपर्क टूट जाता| असल में घुसपैठियों का मुख्य उद्देश्य लद्दाख और कश्मीर के बीच संपर्क को तोड़ना था| 05 मई 1999 को भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम मौके पर जाती है| पाकिस्तान सेना ने इन्हें पकड़कर बेरहमी से इनकी हत्या कर दी| जब इस बात की जानकारी भारत सरकार तक पहुँचती है तो वह भारतीय सेना को दुश्मनों को खदेड़ने का आर्डर देती है| जिसके बाद ऑपरेशन विजय के जरिये भारतीय सेना ने जंग की शुरुआत कर दी| 

इस जंग में भारतीय सेना पहाड़ी के नीचे और पाकिस्तानी सेना ऊंचाई पर स्थित थी| हर तरीके से परिस्थिति पाकिस्तानियों के अनुकूल थी| लेकिन भारतीय सेना के पास जूनून, जोश और देश प्रेम था| भारतीय सेना रात में पहाड़ी के ऊपर चढ़ने लगी| कई भारतीय सैनिक इस जंग में शहीद हुए| भारत सरकार ने भारतीय वायु सेना को कार्यवाही करने के आदेश दे दिए| भारतीय सेना ने 32000 फ़ीट की ऊंचाई से एयर पावर का उपयोग किया था| मिग-27 और मिग-29 का इस्तेमाल कर वायुसेना ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए इलाकों पर बम वर्षा की| 

कई दिनों की भीषण जंग के बाद 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तान द्वारा कब्जाया गई आखिरी चोटी "टाइगर हिल" पर भारत ने तिरंगा फहरा दिया| इसके बाद भारत के प्रधान मंत्री ने भी जीत का एलान कर दिया| 

तब से लेकर हर साल भारतीय वीरों की वीरगाथा को याद करते हुए 26 जुलाई को "कारगिल विजय दिवस" के रूप में मनाया जाता है|     

कारगिल विजय दिवस 2024 (Kargil Victory Day 2024)

इस साल भी 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर जीत के 25 साल पूरे हुए हैं| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1999 के करगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर कारगिल जिले में द्रास में युद्ध स्मारक पर युद्ध नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की| पीएम मोदी ने हिमालय की चोटियों से शुरू किए गए भारतीय सेना के दुश्मन विरोधी अभियानों को याद किया| उन्होनें कहा, ''भारत शांति चाहता था, लेकिन दुश्मन ने अपना दोहरा चेहरा दिखा दिया। अंत में, झूठ हार गया। कारगिल युद्ध में जीत ने हमारे राष्ट्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और हमारे बहादुर बलों की वीरता को दिखाया। हमारे बलों ने अत्यंत कठिन एवं चुनौतीपूर्ण युद्ध स्थितियों के बावजूद सफलतापूर्वक अभियान को अंजाम दिया।"

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