Concrete Core Testing: कंक्रीट कोर का उपयोग पुराने खड़े कंक्रीट स्ट्रक्चर की वास्तविक गुणों के परिक्षण के लिए किया जाता है| इन कंक्रीट कोर से स्ट्रेंथ, परमाबिलिटी, केमिकल एनालिसिस या कार्बोनेशन जैसे गुणों का पता लगाया जा सकता है| नॉन डिसट्रक्टिबल टेस्ट (NDT) जैसे रिबाउंड हैमर टेस्ट, अल्ट्रासोनिक पल्स वेलोसिटी टेस्ट आदि से जहाँ हार्ड कंक्रीट की गुणवत्ता का अप्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है वहीँ कोर सैंपलिंग और परिक्षण द्वारा कंक्रीट स्ट्रेंथ का अधिक प्रत्यक्ष मूल्यांकन किया जा सकता है| आइए जानते हैं कंक्रीट कोर टेस्टिंग क्या होता है और कैसे करते हैं:
कंक्रीट कोर टेस्टिंग क्या होता है (What is Concrete Core Testing)
सीमेंट कंक्रीट की गुणवत्ता पता करने के लिए कंक्रीट प्लेसिंग के समय प्लास्टिक कंक्रीट और बाद में हार्ड कंक्रीट की जांच की जाती है जिससे कंक्रीट की क्वालिटी का अंदाजा लगाया जाता है| लेकिन कई बार साइट पर हार्ड कंक्रीट की गुणवत्ता की जांच करी जाती है, जो हमें हार्ड कंक्रीट की वास्तविक स्थिति से अवगत कराता है| इसी प्रकार की एक जांच है कंक्रीट कोर टेस्टिंग जिसमें कंक्रीट से ड्रिल करके एक कोर सैंपल निकाला जाता है और उस सैंपल में कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं| इन कोर टेस्ट में से एक है स्ट्रेंथ टेस्ट जिसमें निकाले गए सैंपल की कम्प्रेस्सिव स्ट्रेंथ निकाली जाती है|
कंक्रीट से कोर कैसे निकालते हैं
कंक्रीट कोर टेस्टिंग के लिए कंक्रीट कोर निकालने की प्रक्रिया में सबसे पहले साइट पर कंक्रीट सतह पर डायमंड ड्रिलिंग मशीन को टांगने के लिए एक छोटा होल किया जाता है और फिर मशीन को उस होल पर टांग कर स्थिर किया जाता है| फिर ड्रिलिंग बिट की मदद से कंक्रीट में ड्रिल किया जाता है| कोर काटते समय लगातार पानी का छिड़काव भी किया जाता है| ठोस कंक्रीट से सैंपल निकालने की विधि भारतीय मानक 1199 में बताई गई है|
IS 1199 कोड के अनुसार, हार्ड कंक्रीट से कोर सैंपल तब तक नहीं लिया जाना चाहिए जब तक कंक्रीट इतनी क्षमता ना पा ले कि मोर्टार और कोर्स एग्रीगेट का बांड प्रभावित न हो| इसलिए आमतौर पर कंक्रीट कोर टेस्टिंग के लिए कोर प्लेसिंग के 14 दिनों बाद निकाला जाता है| कंक्रीट कोर निकालते समय यदि सैंपल टूट जाए तो उस सैंपल का प्रयोग स्ट्रेंथ टेस्ट में नहीं करना चाहिए|
कैसा होना चाहिए कंक्रीट कोर टेस्टिंग के लिए कंक्रीट कोर
यदि कंक्रीट कोर का सैंपल, रास्ते की मोटाई निकालने के लिए किया जाना है तो सैंपल का व्यास कम से कम 10 सेंटीमीटर होना चाहिए| वहीँ कम्प्रेस्सिव स्ट्रेंथ टेस्ट के लिए हार्ड कंक्रीट से निकाले गए कंक्रीट कोर का व्यास कम से कम अधिकतम कोर्स एग्रीगेट के साइज के तीन गुना होना चाहिए| सैंपल की लम्बाई व्यास की दोगुनी रखी जानी चाहिए| लेकिन यदि सैंपल की लम्बाई उसके व्यास (diameter) की दोगुनी ना हो तो IS 516 के अनुसार उसमें एक फैक्टर लगाया जाता है और सिलिंड्रीकल (cylindrical) सैंपल को क्यूबिकल सैंपल की स्ट्रेंथ से तुलना करने के लिए 5/4 से गुणा करते हैं|
कंक्रीट कोर टेस्टिंग में सिलिंड्रीकल सैंपल की स्ट्रेंथ
कम्प्रेस्सिव टेस्टिंग के लिए निकाले गए कंक्रीट कोर के दोनों छोर समतल होने चाहिए और साथ ही एक्सिस के परपेंडिकुलर होने चाहिए| स्ट्रेंथ टेस्ट के लिए निकाले गए कंक्रीट कोर की लम्बाई यदि उसके व्यास (diameter) के 95% से कम है तो ऐसे सैंपल का प्रयोग नहीं किया जा सकता|
निकाले गए कंक्रीट कोर सैंपल को 48 घंटों के लिए 24 से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान वाले पानी में रखा जाता है| उसके बाद टेस्टिंग से पहले सिलिंड्रीकल सैंपल के दोनों सतह को समतल बनाने के लिए कैपिंग की जाती है| कैपिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले मटेरियल की क्षमता कंक्रीट की क्षमता से अधिक होनी चाहिए, और टेस्टिंग के समय कंक्रीट फेल होने से पहले यह कैपिंग फेल नहीं होनी चाहिए| कैपिंग का उद्देश्य सैंपल की सतह को ठीक समतल करना है इसलिए भारतीय मानक अनुसार कंक्रीट सरफेस सतह से 0.5 मिलीमीटर से अधिक डेविएट नहीं होनी चाहिए| कैपिंग करने के बाद कंक्रीट कोर टेस्टिंग सैंपल की लम्बाई उसके व्यास से कम नहीं होनी चाहिए|
कैपिंग के लिए नीट सीमेंट, सल्फर या हार्ड प्लास्टर का इस्तेमाल किया जाता है|
कैसे करें कंक्रीट कोर टेस्टिंग में स्ट्रेंथ का आकलन
क्यूंकि भारतीय मानकों में स्ट्रेंथ टेस्ट के लिए यदि सैंपल सिलिंड्रिकल हो तो उसकी लम्बाई उसके व्यास से दोगुनी होनी चाहिए, इसलिए कंक्रीट कोर टेस्टिंग के लिए निकाले गए सैंपल की स्ट्रेंथ पर हमें एक करेक्शन फैक्टर लगाना होता है| यह करेक्शन फैक्टर का ग्राफ IS 516 फिगर-1, में बताया गया है|
यह फैक्टर लगाने के बाद कंक्रीट कोर टेस्टिंग की स्ट्रेंथ, एक हाइट/व्यास = 2 वाले सिलिंड्रिकल सैंपल के समकक्ष आ जाएगी| अब अधिकतम कंक्रीट स्ट्रेंथ टेस्टिंग 150x150x150mm वाले क्यूबिकल सैंपल में की जाती है, इसलिए सिलिंड्रिकल सैंपल की स्ट्रेंथ को 5/4 से (1.25) गुणा करना होता है, जिसके बाद यह कम्प्रेस्सिव स्ट्रेंथ क्यूबिकल सैंपल के समकक्ष मानी जाती है|
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