क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड मलाला डे | World Malala Day 2023 celebrated on

World Malala Day 2023: सबसे कम उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करने वाली मलाला यूसुफजई कोई परिचय की मोहताज नहीं है| उन्हें वर्ष 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था| खेलने की उम्र में ही मलाला ने लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी थी, जिस वजह से 9 अक्टूबर 2012 को तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी| बाद में सयुंक्त राष्ट्र ने उनके जन्म दिवस पर मलाला दिवस मनाने का फैसला किया| तो आइये जानते हैं वर्ल्ड मलाला डे कब और क्यों मनाया जाता है (World Malala Day 2023 Date) और क्या है इस वर्ष का विषय:
world malala day 2023

वर्ल्ड मलाला डे कब मनाया जाता है (World Malala Day 2023)

2013 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव बान की मून ने 12 जुलाई को मलाला यूसुफजई के जन्मदिवस पर मलाला डे मनाने का फैसला किया| अपने 16 वें जन्मदिन पर, यूसुफजई ने संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक शिक्षा पहुंच के लिए कॉल करने के लिए बात की| इस कार्यक्रम के दौरान संयुक्त राष्ट्र ने इसे "मलाला दिवस" करार दिया| दुनिया भर के 500 से अधिक युवा शिक्षा अधिवक्ताओं के दर्शकों के सामने, उन्होंने हमले के बाद से अपना पहला सार्वजनिक भाषण दिया| इस दिन का उद्देश्य सभी बच्चों और लड़कियों की शिक्षा की आवाज उठाकर इस मुद्दे पर काम करना है| तब से हर साल 12 जुलाई को मलाला दिवस मनाया जाता है| 
malala in hindi

मलाला यूसुफजई कौन हैं (Malala Yousafzai in Hindi)

मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान में स्वात जिले में हुआ था| 09 अक्टूबर 2012 की दोपहर को मलाला को तालिबान के एक बंदूकधारी ने सिर पर गोली मारी थी| दरअसल तालिबान ने 2007 से 2009 तक स्वात घाटी पर कब्ज़ा कर रखा था| तालिबान के डर से स्वात की लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था| मलाला तब 8वीं की छात्रा थी और उनका संघर्ष यहीं से शुरू हुआ| मलाला छात्राओं के पक्ष खड़ी हो गयी और कहा कि महिलाओं को भी शिक्षा का अधिकार है| 
तालिबान ने 400 से अधिक स्कूल बंद करवा दिए| 2008 में तालिबान ने स्वात घाटी पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लिया था| तालिबान को मलाला का लड़कियों की शिक्षा पर काम करना पसंद नहीं आ रहा था| इसी के चलते उनके सिर पर गोली मारी गयी| उस घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था| पूरी दुनिया के लोग मलाला के साथ खड़े हो गए थे| 

Post a Comment

0 Comments