स्मोग क्या है और कैसे है यह हमारे लिए खतरनाक | What is Smog Meaning in Hindi

Smog Meaning in Hindi: हर साल दिल्ली और एनसीआर में सर्दियां शुरू होते ही स्मोग के तीव्रता से बढ़ने की खबर आती है| जहाँ एक तरफ स्मोग से वातावरण में विजिबिलिटी ख़राब हो जाती है वहीँ दूसरी तरफ स्मोग के प्रदुषण से सांस लेने में मुश्किल होती है और यह मनुष्यों के लिए बेहद जहरीला साबित होता है और गंभीर बीमारी का कारण हो सकता है, यहां तक कि मृत्यु का कारण भी हो सकता है| आइये जानते हैं स्मोग क्या है (What is Smog Meaning in Hindi), कैसे बनता है और इससे बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए:
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स्मोग शब्द का क्या अर्थ है (What is Smog Meaning in Hindi)

स्मोग (Smog) दो शब्दों अर्थात धुंए (स्मोक) और कोहरे (फॉग) से मिलकर बना है| 
Smog = Smoke + Fog

स्मोग (Smog) को हिंदी में धुआँसा कहते हैं| इसे फॉग या धुंध में धुंए या कालिख कणों के मिले होने से भी जाना जाता है| दिखने में यह एक भूरा (क्लासिकल स्मोग) या पीला (फोटोकेमिकल स्मोग) कोहरा होता है| 

स्मोग शब्द (Smog Meaning in Hindi) का इस्तेमाल सबसे पहले 1900 की शुरुआत में लंदन में किया गया था| सबसे पहले यह शब्द डा. हेनरी एंटोईन देस वॉक्स (Dr. Henry Antoine des Voeux) ने जुलाई 1905 में पब्लिक हेल्थ कांग्रेस की मीटिंग के दौरान अपने पेपर 'फॉग और स्मोक' में दिया था| 

स्मोग कैसे बनता है 

दिल्ली में कई वर्षों से नवंबर के आसपास स्मोग बढ़ने और खतरनाक स्थिति पैदा होने की खबर आ रही है| स्मोग से न केवल विजिबिलिटी (visibility) खराब हो जाती है, बल्कि सभी के लिए यह हानिकारक और गंभीर बीमारी का कारण हो सकता है| स्मोग एक प्रकार का वायु प्रदुषण है| स्मोग को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है, क्लासिकल स्मोग जिसे लंदन स्मोग के नाम से भी जाना जाता है और दूसरा फोटोकेमिकल स्मोग| 

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क्लासिकल स्मोग या लंदन स्मोग (Classical Smog)

क्लासिकल स्मोग को लंदन स्मोग, सल्फरस स्मोग या इंडस्ट्रियल स्मोग के नाम से भी जाना जाता है| 1900 के बाद औद्योगीकरण होने के कारण हवा में सल्फर होने से स्मोग देखा गया था| 1952 में लंदन में इस तरह का गहरा स्मोग देखा गया जो हज़ारों लोगों की मौत का कारण बना| इसके बाद इस तरह के स्मोग को लंदन स्मोग भी कहा जाने लगा| क्लासिकल स्मोग में कोहरे में स्मोक के साथ सल्फर की मात्रा होती है और इस तरह के स्मोग का रंग भूरा दिखाई पड़ता है| यह दिन और रात दोनों समय हवा में मौजूद रहता है| 

फोटोकेमिकल स्मोग (Photochemical Smog)

फोटोकेमिकल स्मोग ऑक्सीडाईज़िंग प्रकृति का होता है, जिसके लिए इसे सूरज की रोशनी की जरुरत पड़ती है| इसी कारण से फोटोकेमिकल स्मोग दिन में दिखाई देता है| इस तरह के स्मोग का रंग पीला होता है| फोटोकेमिकल स्मोग में कोहरे में स्मोक के प्राइमरी प्रदूषक (जैसे NOx, VOCs) सूर्य की रोशनी में सेकेंडरी प्रदूषक (जैसे O3 (ओजोन), PAN) बनाते हैं| इससे हवा में ओजोन कण बहुत ज्यादा हो जाते है, जिसकी वजह से ये ज्यादा खतरनाक हो जाता है| ओजोन (O3) एक रंगहीन और गंधहीन गैस है| जब ये ऊपरी वायुमंडल में होती है तब यही सूर्य से आने वाली खतरनाक अल्ट्रा वायलेट किरणों को रिफ्लेक्ट करती है| लेकिन जब यह जमीनी स्तर के पास पाई जाती है तब ये काफी ज्यादा नुकसान दायक हो जाती है| यह हवा में मौजूद बिना जले हाइड्रोकार्बन के साथ मिलकर परॉक्सी ऐसीटाइल नाइट्रेट (PAN) बनाता है|  
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पैन (PAN) के मानव शरीर में कई प्रतिकूल प्रभाव होते हैं जैसे सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन आदि| आमतौर पर शहरी इलाकों में जहाँ ऑटोमोबाइल और औद्योगिक उत्सर्जन अधिक होते हैं, वहां पर PAN से लोगों को जोखिम अधिक होता है|

स्मोग कैसे होता है खतरनाक 

स्मोग के दायरे में आने वाले लोगों को खांसी और गले या सीने में जलन होना आम बात होती है| इसकी वजह होती है ओजोन का हाई लेवल से आपकी सांस प्रणाली को प्रभावित करना| ओजोन कण लक्षणों के होने के बाद भी आपके फेफड़ों को नुकसान पहुँच सकता है| स्मोग का सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर होता है जो अस्थमा से पीड़ित होते हैं| छोटे बच्चे, सीनियर सिटिज़न और सांस की बीमारी से ग्रस्त लोगों को स्मोग होने पर बाहर जाने से बचना चाहिए और जरूरी होने पर मास्क का इस्तेमाल भी करना चाहिए| 

स्मोग इंसानों के साथ-साथ जानवरों के लिए भी खतरनाक है| यहाँ तक कि इससे पेड़-पौधों को भी नुकसान पहुंचता है| स्मोग होने पर ड्राइविंग करने में बहुत परेशानी होती है और बहुत से ऐक्सिडेंट स्मोग के कारण ही होते हैं| 
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कैसे बच सकते हैं स्मोग के दुष्प्रभाव से

स्मोग से बचने के लिए सही जानकारी होना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है| यदि लोगों को पता होगा स्मोग क्या है और इसके प्रभाव क्या हैं, तो ज्यादा लोग इससे खुद को बचा पाएंगे| आजकल सरकार भी प्रदूषण को लेकर सतर्क हो गई है| न्यूज चैनल में भी इसके बारे में बताया जा रहा है| आजकल कई मोबाइल ऐप भी आ गए हैं जो आपके शहर के इलाकों का प्रदूषण लेवल (एयर क्वालिटी इंडेक्स) रीयल टाइम में बताते हैं| स्मोग होने पर अगर जरूरी नहीं है तो बाहर जाने से बचना चाहिए| मॉर्निंग वॉक, साइकलिंग आदि के लिए जाने में इन दिनों थोड़ी सावधानी जरूर बरतनी चाहिए| इसके अलावा अच्छे मास्क का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए| 

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