शुन्य भेदभाव दिवस कब और क्यों मनाया जाता है | Zero Discrimination Day Theme 2023 in Hindi

Zero Discrimination Day 2022: समाज में लोगों के बीच प्रेम, भाईचारा, आपसी मेलजोल, समानता और सद्भावना ही लोगों को एक दूसरे से जोड़े रखती है| समाज में इसी प्रेम को उजागर रखने के भाव से हर वर्ष शून्य भेदभाव दिवस यानी ज़ीरो डिस्क्रिमिनेशन डे (Zero Discrimination Day 2023) मनाया जाता है| इस दिन का मुख्य उद्देश्य है किसी भी व्यक्ति के साथ आयु, लिंग, भाषा, रंग, स्वार्थ या किसी भी आधार पर भेदभाव ना करना है| आइये जानते हैं शुन्य भेदभाव दिवस कब मनाया जाता है (Zero Discrimination day 2023 Date and Theme) और क्या है इस दिन का इतिहास:

zero discrimination day 2023 theme

शुन्य भेदभाव दिवस कब मनाया जाता है (Zero Discrimination Day 2023 Date)

वर्तमान में जब दुनिया में लिंग, नस्ल, जातीयता, रंग-भेद जैसे भेद-भाव बढ़ रहे है तो सरकारी और गैर-सरकारी संगठन इन्हें खत्म करने में भी जुटी हुई हैं| इसी मकसद से संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा हर साल 1 मार्च को ज़ीरो डिस्क्रिमिनेशन नेशन डे यानि शुन्य भेदभाव दिवस मनाया जाता है| वैसे तो इसकी शुरुआत 1 मार्च 2014 को यूएन एड्स के कार्यकारी निदेशक मिशेल सिदिबे द्वारा की गई थी, लेकिन औपचारिक तौर पर इसे मनाए जाने की घोषणा 2013 में विश्व एड्स दिवस पर की गई| इसे एड्स कार्यक्रम से जोड़ा जाता है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि एड्स को मिटाने के लिए लोगों के साथ होने वाले भेदभाव से लड़ना जरूरी है| 

ज़ीरो डिस्क्रिमिनेशन डे को सभी आम जनों के अधिकारों को प्रोत्साहित करने और उन्हें चिन्हित करने के लिए मनाते है| यह दिन मानव अधिकारों की रक्षा करने, सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने, भेदभावपूर्ण कानूनों को हटाने और निष्पक्ष न्याय तथा समानता सुनिश्चित करने के लिए भी मनाया जाता है| इस दिन का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों में कानून के समक्ष और व्यवहार में समानता को बढ़ावा देना भी है| 


शुन्य भेदभाव दिवस 2023 का विषय | Zero Discrimination Day 2023 Theme 

इस वर्ष शून्य भेदभाव दिवस (Zero Discrimination Day 2023 Theme) का विषय है:

"Save Lives: Decriminalise" 

इस विषय के तहत, UNAIDS इस बात पर प्रकाश डाल रहा है कि कैसे एचआईवी के साथ रहने वाले लोगों का डी-क्रिमिनलाइजेशन जीवन बचा सकता है और एड्स महामारी को ख़त्म करने में मदद कर सकता है| प्रमुख आबादी और एचआईवी के साथ रहने वाले लोगों को लक्षित करके आपराधिक कानून उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं| अपराधीकरण भेदभाव और संरचनात्मक असमानताओं को बढ़ाता है| यह लोगों को स्वस्थ और पूर्ण जीवन जीने से वंचित करता है और एड्स को ख़त्म करने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न करता है| हमें जीवन बचाने के लिए अपराधीकरण को समाप्त करने की जरुरत है| 

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