Workability of Concrete | कैसे पता करते हैं कंक्रीट की वर्काबिलिटी

Workability of Concrete: एक अच्छी कंक्रीट वह होती है जिसे उसके प्लास्टिक स्टेज में आसानी से प्लेस और कॉम्पैक्ट किया जा सके और ठोस होने के बाद निर्धारित समय वह अपनी तय क्षमता पा ले और स्थायित्व बनाए रखे| इस प्रकार एक अच्छी गुणवत्ता की कंक्रीट पाने के लिए हर कदम पर उसकी जांच करना भी आवश्यक है| तैयार होने के बाद प्लास्टिक स्टेज में कंक्रीट की वर्क-एबिलिटी की जांच करना फ्रेश कंक्रीट का पहला टेस्ट होता है| कंक्रीट की वर्काबिलिटी की जांच अलग-अलग तरीकों से की जाती है| आइए जानते हैं वर्काबिलिटी ऑफ़ कंक्रीट क्या होती है (What is Workability of Concrete) और कौन से कारण वर्काबिलिटी प्रभावित करते हैं (Factor Affecting Workability):

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वर्काबिलिटी ऑफ़ कंक्रीट क्या होती है (What is Workability of Concrete)   

एक सही और सटीक कंक्रीट मिक्स डिज़ाइन बनाने के बाद निर्धारित कंक्रीट दबाव क्षमता पाने के लिए 100 प्रतिशत कॉम्पैक्शन भी उतनी ही जरुरी है जितना मिक्स डिज़ाइन में वाटर/सीमेंट रेश्यो| कंक्रीट को प्लेस करते समय किसी भी प्रकार का सेग्रीगेशन या ब्लीडिंग नहीं होनी चाहिए| इन सभी गुणों को लिए, बैचिंग होने के बाद प्लास्टिक स्टेज कंक्रीट को यदि हम आसानी से फॉर्मवर्क में डाल सकेंगे तो इस प्रकार की कंक्रीट को हम वर्केबल कंक्रीट कहेंगे| 

कैसे पता करते हैं कंक्रीट की वर्काबिलिटी (Find Workability of Concrete)

कंक्रीट की वर्काबिलिटी एक कॉम्प्लेक्स प्रॉपर्टी है| यह बहुत व्यापक गुणों और कंक्रीट की गुणवत्ता को दर्शाता है| इसका एक निश्चित मतलब नहीं निकाल सकते| कंक्रीट की वर्काबिलिटी पता करने के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं:
  • स्लंप टेस्ट (Slump Test)
  • कोम्पक्टिंग फैक्टर टेस्ट (Compacting Factor Test)
  • फ्लो टेस्ट (Flow Test)
  • केली बॉल टेस्ट (Kelly Ball Test)
  • वी बी कंसिस्टोमीटर टेस्ट (Vee Bee Consistometer Test) 
 

कितनी होनी चाहिए कंक्रीट की वर्काबिलिटी (Workability of Concrete)        

कंक्रीट की वर्काबिलिटी कितनी होनी चाहिए यह उस बात पर निर्भर करता है कि कंक्रीट का उपयोग कैसे स्थान पर होना है या उसे कहाँ प्लेस किया जाना है| यदि कंक्रीट को बहुत नैरो जगह में प्लेस करना है जैसे पतली वॉल या जहाँ बहुत घना सरिया बिछाया गया हो, उस स्थान पर हाई वर्केबल कंक्रीट की जरुरत होगी| उन जगह पर जहाँ सरिया नहीं है या बहुत कम है, अधिक वर्केबल कंक्रीट की आवश्यकता नहीं होती| 

वर्केबल कंक्रीट का अर्थ केवल फ्लो से सम्बंधित नहीं है, बल्कि इसके साथ ही कंक्रीट न्यूनतम प्रयासों के साथ कॉम्पैक्ट होने लायक होनी चाहिए| प्लेस होते समय कंक्रीट में किसी भी प्रकार की ब्लीडिंग या सेग्रीगेशन नहीं होना चाहिए| 

वर्काबिलिटी को प्रभावित करने वाले कारण ( Factor Affecting Workability)    

कंक्रीट को प्लेस करते समय उसकी कंसिस्टेंसी आवश्यकता अनुसार होनी चाहिए और जो कारक कंसिस्टेंसी पर असर डालते हैं वही कंक्रीट की वर्काबिलिटी को भी प्रभावित करते हैं| जैसे: 
  • पानी की मात्रा (Water Content)
  • मिश्रण अनुपात (Mix Proportion)
  • एग्रीगेट का आकार (Size of Aggregate)
  • एग्रीगेट की बनावट (Shape of Aggregate)
  • एग्रीगेट की सतह बनावट (Surface Texture of Aggregate)
  • एग्रीगेट की ग्रेडिंग (Grading of Aggregate)
  • एडमिक्सचर (Use of Admixture)
 

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