संसद में अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है | No Confidence Motion in Hindi

No Confidence Motion in Hindi: भारत एक जीवित लोकतांत्रिक देश है| यहाँ जनता द्वारा चुनी हुई सरकार कार्य करती है| साथ ही संसद में मौजूद विपक्ष की भी अहम् भूमिका होती है| यहाँ तक कि विपक्ष सरकार पर अविश्वास दिखाते हुए बहुमत होने पर सरकार गिरा भी सकता है| इसके लिए वह संसद में स्पीकर के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव रखता है| आइये जानते हैं संसद में अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है | No Confidence Motion in Hindi:
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संसद में अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है (No Confidence Motion in Hindi)

जब लोकसभा में किसी विपक्षी पार्टी को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सदन में सरकार विश्वास खो चुकी है तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाती है| 1952 में, लोकसभा के नियमों में प्रावधान किया गया था कि अविश्वास प्रस्ताव 30 सांसदों के समर्थन के साथ पेश किया जा सकता है जिसकी संख्या अब 50 है| इस प्रकार अविश्वास प्रस्ताव यानि नो कॉन्फिडेंस मोशन एक संसदीय उपकरण है जिसका उपयोग विपक्ष सरकार में विश्वास की कमी व्यक्त करने के लिए करता है| संसदीय लोकतंत्र में कोई सरकार तभी सत्ता में रह सकती है जब उसके पास प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित सदन में बहुमत हो| सत्तारूढ़ दल को विश्वास बनाए रखने के लिए सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है| यदि वह बहुमत खो देती है तो सरकार तुरंत गिर जाती है| 

हमारे संविधान का अनुच्छेद 75 (3) इस नियम को यह निर्दिष्ट करके मूर्त रूप देता है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है| यानि इस सदन में बहुमत हासिल होने पर ही मंत्रिपरिषद बनी रह सकती है| इसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर प्रधानमंत्री सहित मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है| 

25 जुलाई 2023 को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के प्रमुख मलिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम प्रकाश बिरला के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव रखा है| 

अविश्वास प्रस्ताव कौन ला सकता है 

भारतीय सविंधान में विश्वास या अविश्वास प्रस्ताव के बारे में कोई सीधा उल्लेख नहीं है| 'अविश्वास प्रस्ताव' लोकसभा की प्रक्रिया और आचरण नियमावली के नियम संख्या 198 के तहत केवल लोकसभा में लाया जा सकता है| कोई भी लोकसभा सांसद, जो 50 सहयोगियों का समर्थन हासिल कर सकता है, किसी भी समय, मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है| इसके बाद लोकसभा स्पीकर यह निर्णय करते हैं कि नो कॉन्फिडेंस मोशन यानि अविश्वास प्रस्ताव को सदन में लाया जाना चाहिए या नहीं| आमतौर पर 50 लोकसभा सदस्यों के समर्थन वाले अविश्वास प्रस्ताव को लाया जाता है और लोकसभा अध्यक्ष चर्चा की तारीख और समय निर्धारित करते हैं| इसके बाद लोकसभा नियमों के तहत प्रस्ताव पर चर्चा होती है| प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सांसद सरकार की कमियों को उजागर करते हैं, और सत्ता पक्ष उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देता है| अंत में, एक मतदान होता है - यदि प्रस्ताव पारित होता है, तो सरकार कार्यालय खाली करने के लिए बाध्य होती है|

भारत में कितने अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए हैं?

आजादी से लेकर अब तक संसद में 28 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए हैं| आखिरी अविश्वास प्रस्ताव 2018 में तेलगु देसम पार्टी द्वारा पिछली नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ पेश किया गया था| इस वर्ष 2023 में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ दूसरा और कुल मिलाकर 28वां अविश्वास प्रस्ताव है| 

पहला अविश्वास प्रस्ताव (First No Confidence Motion of India) 1963 में तीसरी लोकसभा के दौरान कांग्रेस के आचार्य जे.बी कृपलानी ने अपनी पार्टी के ही प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ पेश किया था| इंदिरा गाँधी सरकार के समय सर्वाधिक 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था| इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री और पीवी नरसिम्हा राव (तीन-तीन), मोरारजी देसाई और अटल बिहारी वाजपेयी (दो) और जवाहरलाल नेहरू, राजीव गांधी, नरेंद्र मोदी सरकार के समय (एक-एक) बार अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ है|  

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