भारत के चंद्रयान मिशन की कुछ अहम् जानकारी | Chandrayaan 3

Chandrayaan-3: महाशक्ति बनने की भारत की महत्वाकांक्षा में एक छोटी सी मगर अहम् भूमिका 'इसरो' भी निभा रहा है| इसरो के कई महत्वाकांक्षी मिशन हैं जिनमें से एक है चंद्रयान| 15 अगस्त, 2003 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा की थी| इसी मिशन के क्रम में चंद्रयान -3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा नियोजित तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है| चंद्रयान 3 के सफलता पूर्वक चाँद पर उतरने के बाद ऐसा करने वाला भारत, दुनिया का चौथा देश बन गया| आइये जानते हैं भारत के इस मिशन के बारे में कुछ अधिक जानकारी (Chandrayaan-3): 

chandrayaan mission

चंद्रयान 1 (Chandrayaan-1)

चंद्रयान -1, चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन, 22 अक्टूबर, 2008 को श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था| एक भारतीय पीएसएलवी रॉकेट ने चंद्रयान -1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किया| कक्षा को ऊपर उठाने की एक श्रृंखला के बाद, चंद्रयान -1 ने उसी वर्ष 8 नवंबर को चंद्रमा के चारों ओर सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश किया था| यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा के रासायनिक, खनिज और फोटो-भूगर्भिक मानचित्रण के लिए चंद्रमा की सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा कर रहा था| ऑर्बिटर ने चंद्रमा पर पानी की खोज की, जो हमारे ब्रह्मांडीय पड़ोसी का पता लगाने और यहां तक कि अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के लिए राष्ट्रों द्वारा योजनाओं को उत्प्रेरित करता है| 

chandrayaan 3 mission

अपने सभी प्रमुख मिशन उद्देश्यों के सफल समापन के बाद, मई 2009 के दौरान चंद्रयान-1 कक्षा को 200 किमी तक बढ़ा दिया गया| उपग्रह ने चंद्रमा के चारों ओर 3400 से अधिक परिक्रमाएँ कीं और 29 अगस्त, 2009 को अंतरिक्ष यान के साथ संचार खोने के बाद मिशन का समापन हुआ| चंद्रयान -1 के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों ने तेजी से महत्वाकांक्षी मिशनों के साथ एक आशाजनक भारतीय ग्रह विज्ञान कार्यक्रम की शुरुआत की| चंद्रयान 1 की कुल लागत 386 करोड़ रूपए थी| 

चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) 

चंद्रमा पृथ्वी के प्रारंभिक इतिहास के लिए सबसे अच्छा संबंध प्रदान करता है| यह आंतरिक सौर मंडल पर्यावरण का एक निर्विवाद ऐतिहासिक रिकॉर्ड प्रदान करता है| हालांकि कुछ परिपक्व मॉडल हैं, लेकिन चंद्रमा की उत्पत्ति को समझने के लिए आगे के स्पष्टीकरण की आवश्यकता थी| चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास का पता लगाने के लिए चंद्र सतह में भिन्नताओं का अध्ययन करने के लिए चंद्र सतह का व्यापक मानचित्रण आवश्यक था| चंद्रयान -2 चंद्रयान -1 के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित दूसरा चंद्र अन्वेषण मिशन था| इसमें एक चंद्र ऑर्बिटर, एक लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल थे, जो सभी भारत में विकसित किए गए थे| चंद्रयान-2 लैंडर का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर एक रोबोटिक रोवर की सॉफ्ट-लैंडिंग कराकर संचालित करना था|

अंतरिक्ष यान को 22 जुलाई 2019 को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से चंद्रमा के लिए अपने मिशन पर लॉन्च किया गया था| यान 20 अगस्त 2019 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया और विक्रम लैंडर की लैंडिंग के लिए कक्षीय स्थिति के प्रयास शुरू किए गए| लैंडर और रोवर को 6 सितंबर 2019 को लगभग 70° दक्षिण अक्षांश पर दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रमा के निकट की ओर उतरना था और वहां पर वैज्ञानिक प्रयोग करने थे| हालांकि, लैंडर 6 सितंबर 2019 को उतरने का प्रयास करते समय अपने इच्छित प्रक्षेपवक्र से भटक जाने पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया| इसरो को सौंपी गई विफलता विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटना सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी के कारण हुई| 

चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) 

चंद्रयान-3 इसरो के पिछले मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला मिशन है जिसके तहत इसरो एक लैंडर और एक रोवर को चाँद के साउथ पोल पर उतारना चाहता था| ये काम बेहद पेंचीदा और जटिल है, जो कि अतीत में ऐसा करने की कोशिश में कई सारे स्पेसक्राफ्ट नाकाम हो चूके थे| पर वही जहाँ असफलता की मिसालें हैं, वहीं कामयाबी की नजीरें भी मौजूद हैं| कुछ वर्ष पूर्व चीनी चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के दूसरे चरण के हिस्से के रूप में चाँद पर उतरा चांग'ई 4 (रोबोटिक अंतरिक्ष यान मिशन) एक क्रांतिकारी मिशन साबित हुआ जिसने चाँद की साइट पर उतरकर एक इतिहास रचा| चीन ने 3 जनवरी 2019 को चंद्रमा के दूर की ओर मानवता की पहली सॉफ्ट लैंडिंग हासिल की| 

chandrayaan mission of india

चंद्रयान -2 के बाद, जहां सॉफ्ट लैंडिंग गाइडेंस सॉफ्टवेयर में अंतिम मिनट की सॉफ्टवेयर गड़बड़ी के कारण लैंडर के सॉफ्ट लैंडिंग प्रयास विफल हो गए, एक और चंद्र मिशन चंद्रयान-3 प्रस्तावित किया गया था| चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे सफलतापूर्वक की गई| इसरो ने चंद्रयान -3 मिशन के लिए तीन मुख्य उद्देश्य निर्धारित किए हैं, जिनमें चंद्रमा की सतह पर एक सुरक्षित लैंडर लैंडिंग प्राप्त करना, चंद्रमा पर रोवर की घूमने की क्षमताओं का अवलोकन और प्रदर्शन, चन्द्रमा की सतह पर उपलब्ध रासायनिक और प्राकृतिक तत्वों, मिट्टी, पानी, आदि पर वैज्ञानिक प्रयोग करने वाले साइट पर वैज्ञानिक अवलोकन शामिल हैं| इसरो ने 23 अगस्त 2023 को इन उद्देश्यों में से सबसे जटिल 'विक्रम' लैंडर को लैंड करवाना और रोवर 'प्रज्ञान' को चाँद की सतह पर उतारने में सफलता हासिल करी| 

चंद्रयान -3 तीन मॉड्यूल का एक संयोजन है: प्रणोदन, लैंडर और रोवर| अंतरिक्ष यान का वजन 3,900 किलोग्राम होगा - प्रणोदन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम है और रोवर सहित लैंडर मॉड्यूल का वजन 1,752 किलोग्राम है| चंद्रयान 3 एक किफायती चंद्र मिशन है जिसकी कुल लागत मात्र 615 करोड़ रूपए है| 

Post a Comment

0 Comments