भारतीय रेलवे में लोको पायलट की सैलरी | Loco Pilot salary, duties in Indian Railway

रेलगाड़ी चलाने में सबसे अहम् और महत्वपूर्ण भूमिका उसके ड्राइवर की होती है| रेल की भाषा में इसे लोको पायलट कहा जाता है| हर मौसम, त्यौहार आदि में एक Loco Pilot हमेशा अपनी ड्यूटी में सतर्क और चौकस रहता है क्यूंकि इनकी छोटी सी गलती भी हजारों लोगों की जान पर खतरा बन सकती है| आइये जानते हैं कैसी होती है भारतीय रेलवे में लोको पायलट की नौकरी और क्या होती है इनकी तनख्वाह| 
loco pilot salary in indian railway

अक्सर सुनने में आता है कि भारतीय रेलवे में लोको पायलट की सैलरी बहुत अच्छी होती है, लेकिन इसी के साथ इनका काम भी बहुत चुनौतीपूर्ण रहता है| इनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की कोई समय सीमा नहीं होती| लोको पायलट को एक साथ चौदाह दिनों का रोस्टर दिया जाता है जिसमें उन्हें दो रेस्ट दिए जाते हैं और इन चौदाह दिनों में उन्हें 104 घंटे काम करना होता है| यूँ तो औसतन यह 08 घंटे ही निकलता है, पर इसका अर्थ किसी एक दिन 08 घंटे कार्य करने से नहीं है| कभी यह लगातार 12 घंटे भी ट्रेन का संचालन करते हैं| इन्हें काम से 06-08 घंटे का आराम देकर भी वापस ड्यूटी पर बुलाया जा सकता है| इन्हीं घंटों में एक लोको पायलट नहाना, खाना, सोना आदि मैनेज करता है| ऐसा नहीं कि यह रेस्ट इन्हें घर पर ही दिया जाए| एक बार घर से निकलने पर लोको पायलट तीन चार दिनों में ही वापस लौट पाता है, जिससे इनकी पारिवारिक लाइफ भी बेहद चुनौतीपूर्ण रहती है| 


वैसे तो लोको पायलट के साथ ट्रेन में गॉर्ड, टी.टी., आर.पी.एफ स्टाफ, ए.सी कोच अटेंडेंट भी होते हैं जो इसी प्रकार की ड्यूटी करते हैं पर इन सभी में से सबसे अधिक जिम्मेदारी और जवाबदेही एक लोको-पायलट की ही होती है| बाकी स्टाफ को तो बर्थ भी उपलब्ध हो जाती है पर पुराने इंजनों में तो एक लोको पायलट के पास टॉयलेट की भी सुविधा नहीं रहती थी| आज के समय में बन रहे इंजनों में भारतीय रेलवे द्वारा यह सुविधा होना अनिवार्य कर दिया गया है|     

लोको पायलट जब चार्ज लेते हैं तो लोकोमोटिव की सभी रीडिंग नोट करी जाती हैं, इसी तरह लोकोमोटिव छोड़ते वक्त या कहें हैंडओवर करते समय भी इसी तरह सभी रीडिंग नोट करते हैं| लोकोमोटिव चलाते समय लोको पायलट की सूझ-बुझ भी भारतीय रेलवे के बहुत काम आती है, जिससे बिजली खपत में भी कटौती होती है| इस उदहारण से हमें लोको पायलट के हमेशा सतर्क रहने के महत्व का पता लगता है|   


भारतीय रेलवे में कर्मचारियों को सैलरी सातवे वेतन आयोग की पे मैट्रिक्स के अनुसार दी जाती है| UPSC से आये एक अधिकारी की सैलरी लेवल 10 के तहत 56000 से शुरू होती है| प्रमोशन मिलते हुए जब यह अधिकारी किसी डिवीज़न के प्रमुख यानी DRM बन जाते हैं तो इनकी सैलरी लगभग 1.5 लाख से 1.6 लाख होती है| इन अधिकारी की तुलना में एक लोको पायलट की एंट्री ALP यानि असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में होती है जो सातवे वेतन आयोग के लेवल 02 में आते हैं| इस हिसाब से इनकी सैलरी लगभग 25 हज़ार होती है| लेकिन यहाँ पर इनकी मुश्किल जिम्मेदारियों की वजह से इन्हें मिलने वाली सैलरी में इजाफा हो जाता है| भारतीय रेलवे अपने लोको पायलट को अलग-अलग प्रकार के भत्ते देती है, जैसे 

महंगाई भत्ता, हाउस रेंट अलाउंस, रनिंग अलाउंस, ओवरटाइम, नाईट ड्यूटी अलाउंस, ट्रांसपोर्ट अलाउंस, ड्रेस अलाउंस आदि|   

इन सभी मिलने वाले भत्तों को जोड़ दिया जाए तो एक एंट्री लेवल पर आये असिस्टेंट लोको पायलट को लगभग 50-60 हज़ार रूपए मिलते हैं जो किसी UPSC पास करके आये अधिकारी को मिलने वाली सैलरी के बराबर है| इतनी सैलरी में इजाफा होने का मुख्य कारण मिलने वाले भत्ते ही हैं| यदि किसी लोको पायलट की महीने में ज्यादा मूवमेंट नहीं होती, जैसे कोरोना काल के दौरान अधिकतर ट्रेनों के रद्द होने के कारण हो रहा है तो अस्सिटेंट लोको पायलट और लोको पायलट को सैलरी उनके लेवल के अनुसार ही दी जाती है|   


भारतीय रेलवे असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर सीधी भर्ती करती है, जो लेवल-2 पर ज्वाइन करते हैं और उनका शुरूआती मूल वेतन 19900 होता है| आइये एक उदहारण से समझते हैं कि कितना कमाता है एक नया भर्ती हुआ ALP:

मूल वेतन : 19900  
महंगाई भत्ता: (19900 x 1.3) x DA = 4398 (17 प्रतिशत के रेट से)
हाउस रेंट अलाउंस: (19900 x 1.3) x HRA = 2070 (8 प्रतिशत के रेट से)
ट्रांसपोर्ट अलाउंस: (900 x DA) =  1053 (17 प्रतिशत के रेट से)     
सेल अलाउंस: 60 

इस प्रकार एक ALP की सैलरी दिए गए रेट अनुसार 27481 रूपए बनती है| अब इसके ऊपर उसे कार्य के आधार पर अलग-अलग भत्ते मिलते हैं| यदि महीने में किसी लोको पायलट की ऑफिस ड्यूटी ही लगी है तो उसे बेसिक का 01 प्रतिशत हर उस नॉन-रन डे के लिए मिलेगा| मान लीजिये अगर ऊपर बताये गए उदहारण के हिसाब से लोको पायलट की 20 दिनों तक नॉन-रन ड्यूटी लगती है तो उसकी ग्रॉस सैलरी 27481 + 199x20 = 31461 होगी| 

लोको पायलट का मुख्य काम ट्रेन को चलाना होता है, इसलिए अधिकतर LP या ALP को रनिंग अलाउंस मिलता है| और इसी से इनकी सैलरी में अंतर आ जाता है| किसी लोको पायलट को महीने में चले माइलेज (किलोमीटर) के अनुसार रनिंग अलाउंस मिलता है| उदहारण के तौर पर यदि एक लोको पायलट महीने में 5000 किलोमीटर चला है तो उसे लगभग 5000x3.76= 18800 रूपए रनिंग अलाउंस (kilometerage allowance) के रूप में मिलेंगे| इसके साथ रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक करी ड्यूटी में इन्हें नाईट ड्यूटी अलाउंस मिलता है| तो इस तरह एक नए भर्ती हुए ALP (असिस्टेंट लोको पायलट) की सैलरी लगभग 50000 तक बन जाती है| 

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