गुरु पूर्णिमा कब है 2023 | Guru Purnima 2023 Date and Significance

Guru Purnima 2023: भारत विभिन्नता से भरा देश है जिसमें अपने मनोभाव को व्यक्त करने के लिए अलग-अलग त्यौहार और पर्व मनाए जाते हैं| आषाढ़ माह में गुरुओं के प्रति अपना आदर प्रकट करने के लिए एक पर्व मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा| भारतीय संस्कृति में गुरुओं को देवता के समान पूज्य माना गया है| जैसा नाम से स्पष्ट है कि गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुओं के लिए समर्पित है| तो आइये जानते हैं 2023 में गुरु पूर्णिमा कब है (Guru Purnima 2023 Date) , क्यों मनाई जाती है, और इसका क्या महत्व है:  

guru purnima kab hai 2023



  1. गुरु पूर्णिमा कब है 2023? 
  2. गुरु पूर्णिमा का महत्व 
  3. गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें

 

संस्कृत में एक श्लोक है :-

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वरः |  
गुरु: साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः|   

गुरु ही रचयिता ब्रह्मा हैं, गुरु ही परिरक्षक विष्णु हैं,  गुरु ही विध्वंसक शिव हैं और मैं अपना सारा प्रयास उस महान गुरु को अर्पित करता हूँ| अर्थात गुरु को भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का साक्षात् रूप माना गया है और अपने समक्ष मैं उस गुरु को पुरे आदर के साथ नमन करता हूँ| 
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गुरु पूर्णिमा कब है 2023? 

गुरु पूर्णिमा पुरे देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जाती है| आषाढ़ मॉस के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है और इस दिन सभी अपने गुरु के प्रति सम्मान और आदर प्रकट करते हैं| इस वर्ष 2023 में गुरु पूर्णिमा 03 जुलाई 2023 में पड़ रही है| पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 02 जुलाई 2023 को रात्रि 08 बजकर 21 मिनट पर होगी और 03 जुलाई की शाम 05 बजकर 08 मिनट पर यह तिथि समाप्त होगी| 


गुरु पूर्णिमा का महत्व 

गुरु पूर्णिमा महाभारत के रचयिता और संस्कृत के महान विद्धान कृष्ण द्वैपायन व्यास की जयंती है| महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 ईसा पूर्व में हुआ था| इन्होनें ही चारों वेदों की रचना/संकलन की है, इसलिए इनका एक नाम वेद व्यास भी है| इनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है| महर्षि वेद व्यास को समस्त मानव जाति का गुरु माना गया है| इनके सम्मान में ही आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है|

भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान भगवान तुल्य माना गया है, दूसरे शब्दों में कहें तो गुरु को ही भगवान का दूसरा रूप माना गया है| गुरु ही हमारे जीवन से अन्धकार और अज्ञानता को मिटाते हैं और वह ही इंसान को इस लायक बनाते हैं कि वह अपने जीवन को सही दिशा में सही अर्थों के साथ जी पाए| 

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वैसे तो अपने गुरु के प्रति आदर का भाव किसी दिन के लिए बाध्य नहीं है पर गुरु पूर्णिमा का दिन बहुत शुभ होता है, इसलिए इस दिन अपने गुरुजन के प्रति आदर सम्मान प्रकट करके उनका आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए| गुरु ही हमारे सच्चे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं और हमें अनमोल ज्ञान देकर जीवन की सही दिशा दिखते हैं, इसलिए गुरु को ब्रह्मा का रूप माना गया है| 

पुराणों के अनुसार भगवान शिव को सबसे पहला गुरु माना गया है, क्यूंकि परशुराम और शनिदेव भगवान शिव के ही शिष्य हैं और भगवान शिव के द्वारा ही हमारी इस धरती पर सभ्यता और धर्म का प्रचार और प्रसार किया गया है| इसलिए शिव को आदि गुरु कहा जाता है और उन्हें आदि देव और आदि नाथ भी कहा जाता है|      
        
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गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें  

गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्यास जी या अपने गुरु के चित्र को फूल माला चढ़ाकर नमन करें| इसी के साथ गुरु से मिलकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए| इस दिन अपने गुरु को सामर्थ्य अनुसार आदरपूर्वक दक्षिणा भेंट करनी चाहिए| इसके साथ ही घर में बड़े लोगों का भी आशीर्वाद लेना चाहिए|       

            

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