सीता नवमी 2022 कब है | जानकी जयंती का महत्व, पूजा विधि

Sita Navami 2022 Date: वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी कहते हैं| धार्मिक ग्रंथ के अनुसार इसी दिन माता सीता का प्रकृतव्य हुआ था| इस दिन को श्री जानकी नवमी, जानकी जयंती भी कहा जाता है| आइये जानते हैं इस वर्ष सीता नवमी या जानकी जयंती कब है (Sita Navami 2022 Date) और क्या है इस दिन का महत्व:

sita navami 2021 janki jayanti kab hai


  1. सीता नवमी 2022 कब है?
  2. सीता नवमी/ जानकी जयंती का महत्व
  3. सीता नवमी व्रत और पूजा-विधि


सीता नवमी 2021 कब है?  

सीता नवमी प्रत्येक वर्ष वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है| पिछले साल सीता नवमी 21 मई 2021 को मनाई गई| इस वर्ष 2022 में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 10 मई 2022, मंगलवार को पड़ रही है, इसलिए इसी दिन सीता नवमी 2022 मनाई जायेगी| नवमी तिथि की शुरुआत 09 मई 2022 को शाम 06 बजकर 32 मिनट पर होगी और इसकी समाप्ति अगले दिन 10 मई 2022 को शाम 07 बजकर 24 मिनट पर होगी| 


सीता नवमी/ जानकी जयंती का महत्व 

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को पुष्य नक्षत्र के मध्यान काल में जब महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि हल से जोत रहे थे, उसी समय पृथ्वी से एक बालिका का प्रकृतव्य हुआ| अतः जनमानुष में यह पर्व जानकी नवमी के नाम से प्रचलित है| जोती हुई भूमि तथा हल के मुख को सीता कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम सीता रखा गया था|

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माता जानकी का जन्मदिन, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के जन्मदिन के ठीक एक माह बाद आता है| मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है और विधि-विधान से राम-सीता का पूजन करता है, उसे सोलह महान दानों का फल, पृथ्वी दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है| 


सीता नवमी व्रत और पूजा-विधि 

जानकी जयंती के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखकर माता सीता की पूजा करती हैं| अविवाहित महिलाएं भी उत्तम जीवन साथी की कामना से निर्जला व्रत रखकर माता सीता के साथ भगवान श्री राम की भी विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं|  

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ़ सफाई करें और घर के पूजा स्थल पर गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल छड़ककर उसको स्वच्छ करें| फिर भगवान श्री राम और माता जानकी की प्रतिमा या मूर्ति को स्थापित करें| प्रतिमा के सामने एक कलश की स्थापना करें और व्रत का संकल्प लें| श्री राम व जानकी को सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, अबीर, गुलाल, मेहँदी, हल्दी अर्पित करें| पञ्च मेवा, पंचामृत, फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं| माता सीता को श्रृंगार की सोलह सामग्री अर्पित करें| दीप और धूप-बत्ती लगाएं और दोनों की पूजा करें| उसके पश्चात् राम-सीता के मन्त्रों का जाप करें| इस दिन माता सीता के मंगलमय नाम "श्री सीतायै नमः" और "श्री सीता-रामाय नमः" का उच्चारण करना लाभकारी रहता है|            

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