परशुराम जयंती 2023 कब है | कैसे पड़ा परशुराम का नाम

Parshuram Jayanti 2023: ब्राह्मण जाति के कुलगुरु परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं| आइये जानते हैं कौन थे भगवान विष्णु के आवेशावतार परशुराम और इस वर्ष परशुराम जयंती 2023 कब है (Parshuram Jayanti 2023 Date): 

parshuram jayanti 2023

  1. परशुराम जयंती कब मनाई जाती है 
  2. भगवान परशुराम पौराणिक परिचय 
  3. कैसे पड़ा परशुराम का नाम 
  4. कल्कि पुराण में परशुराम का महत्व 
  5. परशुराम जयंती पूजा-विधि 

 

परशुराम जयंती कब मनाई जाती है (Parshuram Jayanti 2023 Date)

परशुराम जयंती प्रत्येक वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है| इसी दिन अक्षय-तृतीया का प्रसिद्ध त्योहार भी मनाया जाता है| इस साल यानी 2023 में यह दिन 22 अप्रैल, शनिवार को पड़ रहा है, इसलिए इसी दिन परशुराम जयंती मनाई जायेगी| तृतीया तिथि की शुरुआत 22 मई 2023 को प्रातः 07 बजकर 49 मिनट पर होगी और इसकी समाप्ति अगले दिन सुबह 07 बजकर 47 मिनट पर होगी| 

परशुराम जयंती 2021: 14 मई 2021, शुक्रवार  

परशुराम जयंती 2022: 03 मई 2022, मंगलवार

परशुराम जयंती 2023: 22 अप्रैल 2023, शनिवार       

परशुराम जयंती 2024: 10 मई 2024, शुक्रवार     

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भगवान परशुराम पौराणिक परिचय

परशुराम का जन्म त्रेतायुग में हुआ| उनकी माता का नाम रेणुका और पिता का नाम जमदग्नि था|  परशुराम भार्गव गोत्र के थे जो सदैव अपने गुरु और माता-पिता की आज्ञा का पालन करते थे| उनका भाव इस जीव सृष्टि को इसके प्राकृतिक सौंदर्य से जीवन्त बनाये रखना था| वे चाहते थे यह सारी सृष्टि पशु-पक्षी, वृक्ष, फल-फूल समूची प्रकृति के लिए जीवन्त रहे| वे पशु-पक्षी की भाषा समझते थे और उनसे बात कर सकते थे, इसलिए खूंखार पशु भी उनके स्पर्श मात्र से उनके मित्र बन जाते थे| उनका कहना था कि राजा का धर्म वैदिक जीवन का प्रसार करना है| वे एक ब्राह्मण के रूप में जन्म लेने के बावजूद कर्म से क्षत्रिय थे| उन्हें भार्गव के नाम से भी जाना जाता है|              

शास्त्रों के अनुसार भगवान् शिव के परम भक्त परशुराम न्याय के देवता हैं जिन्होने इक्कीस बार इस पृथ्वी को क्षत्रीय विहीन किया था| वे शस्त्रविद्या के महान गुरु थे और भीष्म, द्रोण और कर्ण को इन्हीं ने शस्त्रविद्या प्रदान की थी|   


कैसे पड़ा परशुराम का नाम 

अपने पितामह भृगु द्वारा कराये नामकरण संस्कार से इनका नाम राम पड़ा| भगवान शिवजी द्वारा दिए गए शस्त्र परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये|   


कल्कि पुराण में परशुराम का महत्व

कल्कि पुराण के अनुसार परशुराम, भगवान विष्णु के दसवे अवतार कल्कि के गुरु होंगे और उन्हें युद्ध की शिक्षा देंगे| वे ही कल्कि को भगवान शिव की तपस्या करके दिव्य शस्त्र को प्राप्त करने के लिए कहेंगे| 

 

परशुराम जयंती पूजा-विधि 

भगवान परशुराम को साहस का देवता माना जाता है इसीलिए परशुराम जयंती के दिन उनकी विधिवत पूजा करने से और व्रत रखने से व्यक्ति को जीवन में सफलता, साहस और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है|   

परशुराम जयंती के दिन सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान के बाद साफ़ वस्त्र धारण करें| परशुराम भगवान विष्णु जी के अवतार हैं इसलिए पूजास्थल पर एक चौकी पर परशुराम जी या विष्णु  प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें चन्दन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, फल-फूल और मिठाई अर्पित कर विधिवत उनकी पूजा करें| पूजा में विष्णु जी के मन्त्रों का जाप करें और फिर शाम के समय प्रदोष काल में पुनः पूजा कर नैवेद्य अर्पित करें| इसके बाद भगवान् परशुराम की व्रत कथा पढ़ें और अंत में धूप दीप आरती कर प्रार्थना करें कि वह आपको साहस प्रदान करें और आपको सभी प्रकार के भय से मुक्ति दें| 

     

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