विक्रम सम्वत कब प्रारम्भ हुआ | Vikram Samvat 2080

विक्रम संवत - Vikram Samvat: आज क्या तारीख है? What is today's date? आज की तिथि बताइये| आपके पास हमेशा हाज़िर जवाब होगा| और उस जवाब पर अति आत्मविश्वास भी| यह बात नहीं है कि आप गलत हैं| आपने और पुरे विश्व ने एक सन्दर्भ में ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया है और वैश्वीकरण के बाद यह सही भी है|

vikram samvat

भारत में भी समय की गणना के लिए इसी कैलेंडर का रेफरन्स लिया जाता है| आपने सोचा होगा भारत में हिन्दू त्योहारों की तिथि हर साल बदलती क्यों रहती है, इसका कारण है कि भले ही हम आधिकारिक कार्यों के लिए आज के ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं पर पारम्परिक त्योहारों के लिए आज भी सनातन कैलेंडर का उपयोग किया जाता है| ऐसा ही एक कैलेंडर है विक्रम संवत (Vikram Samvat) या विक्रमी कैलेंडर| 

विक्रम संवत का उपयोग 

भारत के कई राज्यों में विक्रम संवत का उपयोग किया जाता है| यह एक चन्द्रसौर कैलेंडर है, जिसमें एक महीना चन्द्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा पर निर्भर करता है और औसतन एक साल पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के समय के बराबर होता है| 

विक्रमी कैलेंडर नेपाल का भी आधिकारिक कैलेंडर है| नेपाल के राणा वंश ने विक्रम संवत को 1901 में आधिकारिक हिन्दू कैलेंडर बनाया जो विक्रम सम्वत 1958 के रूप में शुरू हुआ| 

भारत में सुधारित साका कैलेंडर आधिकारिक तौर पर उपयोग करते हैं| लेकिन विक्रम सम्वत ज्यादा प्रचलित होने से इसे आधिकारिक हिन्दू कैलेंडर मानने की मांग उठी है|     

विक्रम संवत कब प्रारम्भ हुआ

विक्रम सम्वत की शुरुआत सन 57 ईसा पूर्व में मानी जाती है| यानी आज के 'सन 2023' से 2080 साल पहले| इसलिए इसी साल विक्रमी कैलेंडर का 2080वा साल शुरू होगा| विक्रमी कैलेंडर का नववर्ष अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय मनाते हैं, फिर भी ज्यादातर हिस्सों में इसे चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है| जैसे 2023 में यह 22 मार्च को मनाया जाएगा, और वर्ष 2022 में यह दिन 02 अप्रैल, वर्ष 2021 में यह दिन 13 अप्रैल को था| गुजरात और महारष्ट्र में विक्रमी कैलेंडर की शुरुआत दिवाली के बाद कार्तिक महीने से होती है|  

विक्रमी कैलेंडर की शुरुआत कैसे हुई 

प्रचलित परंपरा के अनुसार, उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने 'शक' को हराकर विक्रम संवत युग की स्थापना की| एक कथा अनुसार उज्जैन के तत्कालीन राजा गंधर्वसेन ने कालकाचार्य भिक्षु की बहन सरस्वती नामक एक नन का अपहरण कर लिया| इसके बाद क्रोधित साधू ने शक शासक राजा साही से मदद मांगी| शक शासक ने उज्जैन राजा को हराकर सरस्वती को छुड़ा लिया पर राजा गंधरसेन को माफ कर दिया| राजा गंधर्वसेन ने इसके बाद जंगल के लिए प्रस्थान कर लिया जहाँ बाघ के हमले से उनकी मौत हो गयी| 

राजा गंधर्वसेन के पुत्र विक्रमदित्य ने बाद में उज्जैन पर आक्रमण किया और शक से दूर चले गए| इस घटना को मनाने के लिए उन्होनें 'विक्रम युग' नामक एक नए युग की शुरुआत करी|   

विक्रम संवत के प्राचीनतम सबूत 

अगर सबसे पुराने तथ्यों की बात करें जिससे विक्रमी कैलेंडर का पता चलता है तो वह सन 842 में ज्ञात हुआ| चौहान शासक चन्दमहासेना से प्राप्त एक शिलालेख, राजस्थान के धौलपुर में पाया गया जिसमें 'विक्रम संवत 898 वैशाख शुक्ल 2 चंदा' दिनांकित किया गया है|    

विक्रम सम्वत के चंद्र मैट्रिक्स 

ग्रेगोरियन कैलेंडर में 24 घंटों का एक दिन(तिथि) होता है| पर विक्रम सम्वत के अनुसार एक तिथि चंद्र और सूरज के स्थान पर निर्भर करती है| इसलिए एक तिथि 20 से 27 घंटे की हो सकती है| वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बताएं तो चंद्र माह के एक महीने में चन्द्रमा, पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है, मतलब 360  डिग्री घूमता है| अब क्यूंकि पृथ्वी के हिसाब से सूरज स्थिर है तो चंद्र महीने में पड़ने वाले 30 दिनों को 360/30 डिग्री में बाँट दिया गया| प्रत्येक तिथि चंद्र और सूरज के बीच 12 डिग्री की चाल का होगा| 

इसलिए एक तिथि का शुरू होने का समय निश्चित नहीं होता और इसकी अवधि भी बदलती रहती है| 

15 तिथियों बाद चन्द्रमा 180 डिग्री की चाल चल लेगा, और इस 15 तिथि के समूह को पक्ष कहते हैं| (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष

दो पक्ष यानि चन्द्रमा के 360 डिग्री के समयकाल को एक माह कहते हैं| यह लगभग 29.5 दिनों में पूरा होता है|     

एक ऋतू दो मास की होती है| 

एक अयाना में 3 ऋतुएं आती हैं| 

साल में 2 अयानास होते हैं|     

विक्रम कैलेंडर में पड़ने वाले मास 

          
इन बारह मास का समय लगभग 354 दिनों का होता है, और इसलिए हर दूसरे-तीसरे साल में तेरवा महीना 'अधिकमास' जोड़ कर सौर कैलेंडर के साथ विक्रम संवत (चंद्र कैलेंडर) को सरेखित किया जाता है| इसलिए इसे चन्द्रसौर कैलेंडर कहते हैं|     

Post a Comment

0 Comments